Basant Panchami 2021 Katha: आज है बसंत पंचमी, पढ़ें पौराणिक कथा
आज 16 जनवरी को बसंत पंचमी का त्योहार पूरी धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है. कई लोग सरस्वती पूजन कर रहे हैं, कुछ पीले वस्त्र धारण किए हैं और बच्चे पतंग उड़ाने की तैयारियां कर रहे हैं. आज का दिन बेहद शुभ माना जाता है क्योंकि आज के दिन से ही प्रकृति में नई ऊर्जा आती और पेड़ों पर नए फल और फूल आते हैं. बसंत पंचमी के दिन ही विद्या की देवी मां सरस्वती का भी जन्म हुआ था. इसलिए बसंत पंचमी के लिए सरस्वती पूजा भी आयोजित की जाती है. आइए जानते हैं बसंत पंचमी की पौराणिक कथा…
बसंत पंचमी की पौराणिक कथा :
पौराणिक कथाओं के अनुसार,भगवान विष्णु की आज्ञा से ब्रह्मा जी ने मनुष्यों की योनी बनाई. एक समय की बात है वे एक दिन पृथ्वी पर भ्रमण कर रहे थे, तो उन्होंने अपने द्वारा रचे गए सभी जीवों को देखा. उनको लगा कि पृथ्वी पर काफी शांति है. अभी भी कहीं कुछ कमी रह गई है. उसी समय उन्होंने अपने कमंडल से जल निकाला और धरती पर छिड़का, तभी वहां पर चार भुजाओं, श्वेत वर्ण वाली, हाथों में पुस्तक, माला और वीणा धारण किए हुए एक देवी प्रकट हुईं. ब्रह्मा जी ने सर्वप्रथम उनको वाणी की देवी सरस्वती के नाम से संबोधित किया और सभी जीवों को वाणी प्रदान करने को कहा. तब मां सरस्वती ने अपनी वीणा के मधुर नाद से जीवों को वाणी प्रदान की.
मां शारदा माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को प्रकट हुई थीं, इस वजह से उस तिथि को वसंत पंचमी या श्री पंचमी कहा जाने लगा. इस दिन को सरस्वती देवी के प्रकाट्य दिवस या जन्मदिवस के रुप में भी मनाते हैं. उन्होंने अपनी वीणा से संगीत की उत्पत्ति की, जिस वजह से वह कला और संगीत की देवी कही जाती हैं. उनके भक्त मां शारदा को वाग्देवी, बागीश्वरी, भगवती, वीणावादनी आदि नामों से पुकारते हैं. उनको पीला रंग काफी प्रिय है. पूजा के समय में उनको पीली वस्तु और पुष्प अर्पित किया जाता है.