Basant Panchami 2024: बसंत पंचमी के साथ ऋतुराज वसंत का आगमन, जानिए माँ सरस्वती की पूजा विधि
बसंत पंचमी का त्योहार माघ शुक्ल पंचमी को मनाया जाता है. हमारे, अन्य त्योहार किसी देवता की जन्मतिथि के उपलक्ष में मनाए जाते हैं अथवा किसी देवी घटना विशेष के कारण से परन्तु इस त्योहार की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह एक सामाजिक त्योहार है I इसका सम्बन्ध न तो किसी देवता के जन्म-दिवस से है और न अन्य किसी घटना विशेष से I यह त्योहार वसंत–ऋतु के शुभ आगमन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है I वसंत को ऋतुराज अर्थात ऋतुओं का राजा माना गया है I जिस प्रकार राजा के आगमन के अवसर पर बहुत बड़ा उत्सव मनाया जाता है उसी प्रकार इस ऋतुओं के राजा के आने पर उत्सव मनाया जाना स्वाभाविक हैं I
आपको बता दें शास्त्रीय स्वरूप हेमाद्रि में लिखा है कि, माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को हरि का पूजन करना चाहिए I इस दिन तेल लगाकर स्नान करके आभूषण और वस्त्रों को धारण करें तथा नित्य और नैमित्तिक कार्यों को करके श्रीविष्णु भगवान का प्रधानतया गुलाल से तथा सामान्य रीति से गन्ध, पुष्प, दीप, धूप तथा नैवेद्य से विधिवत् पूजा करें I इसके बाद स्त्री या पुरुष को पितृदेवों का तर्पण करना चाहिए I
बसंत पचंमी पर सरस्वती माँ की पूजा विधि
भगवती सरस्वती की पूजा नीचे लिखे हुए प्रकार से करनी चाहिए I बंसंत पंचमी के एक दिन पहले नियम पूर्वक रहें I दूसरे दिन संयम पूर्वक प्रातःकाल स्नान कर सन्ध्या, तर्पण, आदि नित्यकर्म से निवृत्त होकर भक्तिपूर्वक कलश स्थापन करें I पहले गणेश, सूर्य, विष्णु, शंकर आदि की नैवेद्य, धूप, टीप आदि से पूजा करके बाद में अभीष्ट फल को देनेवाली सरस्वती की पूजा करें I
सरस्वती की पूजा करके बसंत पंचमी का त्यौहार वसंत के आगमन के उत्सव में मनाया जाता है I आज ही के दिन पहले-पहल गुलाल उड़ायी जाती है I सब लोग गुलाल उड़ाते हैं और बसंती रंग में रंगे हुए वर्तमान स्वरूप वस्त्र को धारण करते हैं I कई जगहों पर आज के दिन से ही होली गाने का प्रारम्भ किया जाता है I आज से लेकर फागुन पूर्णिमा तक होली बड़ी मस्ती से गायी जाती है और लोग आनन्द उठाते हैं I