यूपी और पंजाब में चुनाव से पहले PM नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने का किया ऐलान
एक साल से अधिक समय से जिस कानून को लेकर सड़क से लेकर संसद तक घमासान मचा हुआ था। आखिरकार पीएम नरेंद्र मोदी ने उन तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने का ऐलान किया। देश के नाम संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला ले लिया है। कुछ लोगों का कहना है कि पीएम नरेंद्र मोदी ने यह फैसला पंजाब और उत्तर प्रदेश में होने वाले चुनाव को ध्यान में रखते हुए लिया है। यह सच है कि अगले साल पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं और किसान आंदोलन का कहीं उलटा न पड़ जाए। भाजपा को इसका डर जरूर सता रहा होगा।
आपको बता दें विधानसभा चुनाव से ठीक पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस ऐलान के कई मायने हैं। किसान आंदोलन से प्रभावित चुनावी राज्यों में मुख्यतौर पर उत्तर प्रदेश और पंजाब हैं। पंजाब को छोड़कर उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार है। कृषि कानूनों को लेकर जिस तरह से प्रदर्शनकारी किसान डटे हुए थे, ऐसे में उत्तर प्रदेश में भाजपा को सबसे अधिक नुकसान होने की संभावना थी। लेकिन कृषि कानूनों की वापसी के बाद भाजपा की राह आसान हो जाएगी।कृषि कानूनों को आधार बना जो सियासी पार्टिंयां भाजपा पर हमला करने वाली होगी अब उन्हें अपनी रणनीति में बदलाव करने पड़ेगी।
मोदी सरकार की इस फैसले को एक तरह से देखा जाए तो पंजाब में बीजेपी ने अपने खिलाफ हवा के रुख को मोड़ने की कोशिश की है। पंजाब में किसानों के भीतर कृषि कानूनों को लेकर सरकार के प्रति काफी गुस्सा है। इसी गुस्से को भांपते हुए अकाली दल ने भाजपा से नाता तोड़ लिया था। अब जब चुनाव नजदीक आ रहे हैं तो भाजपा को भी इस बात का डर है कि कहीं किसान आंदोलन उसे पंजाब की सत्ता से महरूम न कर दे। इसलिए कृषि कानूनों की वापसी के बाद पंजाब के सियासी समीकरण बदलेंगे। अब तक किसानों की नाराजगी की डर से ही कैप्टन अमरिंदर सिंह भी भाजपा से अलग-अलग चल रहे थे, लेकिन अब जब कानून को वापस ले लिया गया है।तो ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि कैप्टन भाजपा के साथ आ जायेंगे।