बिहार अब भी पांच सबसे गरीब राज्यों में शामिल, जबकि 15 सालों में बिहार का बजट 8 गुना, जीडीपी 7 गुना बढ़ा
बिहार में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग की तरफ से जल्द ही होने वाला है। इस कारण राज्य में चुनाव की सरगर्मी तेज हो गयी है। चुनाव आयोग द्वारा कोविड-19 कोरोना महामारी को लेकर बिधान सभा चुनाव के दरम्यान दिशा निर्देश जारी कर दिया गया है। बिहार में कोविड-19 कोरोना महामारी के बीच यह पहला चुनाव बना है। इस बार 2020 विधानसभा चुनाव में एनडीए ने घोषणा कर दी है कि लालू के 15 साल बनाम नीतीष के 15 साल की तर्ज पर होगा। चुनाव को लेकर लोग पार्टी बदलने का खेल भी षुरू कर दिये हैं, जैसे जीतन राम मांझी महागंठबंधन को छोड़कर एनडीए में आ गए उधर श्याम रजक जदूय से राजद में षामिल हो गए। राष्ट्रीय जनता दल के तीन विधायक एवं लालू प्रसाद यादव के समधि चंद्रिका राय भी बगावत कर चुके है। इन सबके बीच सता किस करवट लेगी यह चुनाव के बादी ही साफ हो पाएगा।
पंद्रह साल की राजनीतिक सफर में नीतीष कुमार 2005 से 2013 तक एनडीए गठबंधन में रहे। इसके बाद नरेंद्र मोदी पीएम उम्मीदवार घोषित होने पर एनडीए से नीतीष कुमार अलग हो गए। जदयू को 2014 लोकसभा में दो सीटें मिली जिस वजह से नीतीष कुमार ने मुख्यमंत्री से इस्तीफा देकर जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बनाया। लेकिन एक साल बाद मांझी से इस्तीफा ले लिया गया और नीतीष कुमार फिर मुख्यमंत्री बने। 2015 में जदयू, राजद और कांग्रेस महागंठबंधन को बहुमत मिला जिससे नीतीष फिर सीएम बने लेकिन यह गठबंधन 2017 में टूट गया और नीतीष फिर से एनडीए का हिस्सा बन गए।
इस बार बिहार विधान सभा चुनाव में बेरोजगारी का मुद्दा अहम माना जा रहा है। क्योकि कोरोना महामारी के कारण बिहार में बेरोजगारी 46 प्रतिशत पहुंच गई हैं लॉकडाउन के वजह से करीब 40 लाख से ज्यादा श्रमिक बिहार लौटे है। एक सर्वे के मुताबिक 80 फीसदी श्रमिकों के पास जमीन नही है या है भी तो एक एकड़ से भी कम। बिहार आज भी बेरोजगारी के मामले में तमिलनाडु और झारखंड के बाद टॉप-3 लिस्ट में शामिल है। संवाददाता, एबी बिहार न्यूज।