बिहार : राष्ट्रीय शिक्षा नीति -2020 के तहत बिहार के छोटे स्कूलों की जाएगी पहचान, जिला शिक्षा पदाधिकारी को सौंपा गया कई टास्क
बिहार : राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP)-2020 के तहत बिहार के छोटे स्कूलों की पहचान की जाएगी। यह पहचान राज्य के सभी 38 जिलों में होगी। छोटे स्कूल से तात्पर्य प्राथमिक तौर पर उन स्कूलों से होगा, जिनमें बच्चों का नामांकन कम है। साथ ही आधारभूत संरचना, वर्गकक्ष आदि के मामले में भी तंगहाल स्कूल चिह्नित किये जायेंगे।एनईपी के तहत ऐसे स्कूलों की सूरत बदली जायेगी। दो दिन पहले ही शिक्षा विभाग ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को जमीन पर उतारने को लेकर समझ विकसित करने के लिए राज्यस्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया था।
आपको बता दें कि इस एक दिन मंथन के अंत में सभी क्षेत्रीय शिक्षा उप निदेशक (RDDE) और सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी (DEO) को अंत में सौंपे गये कई टास्कों में से एक छोटे स्कूलों की पहचान भी करना है। ऐसे स्कूलों को चिन्हित किये जाने के बाद DEO की टीम आस-पास के लोगों से बात कर यह भी जानने की कोशिश करेगी कि आखिर यहां कम बच्चों के नामांकन क्यों हैं? पड़ोस के दूसरे स्कूलों का भी जायजा लिया जाएगा। जिला शिक्षा पदाधिकारियों को सबसे महती जिम्मेवारी NEP को जमीन पर उतारने को लेकर कार्यक्रम प्रबंधन इकाई गठित करने की दी गई है।यह यूनिट राज्य, जिला और प्रखंड स्तर तक बननी है। DEO को कहा गया है कि हर हाल में नवंबर में कम से कम जिला स्तर पर PMU गठित कर ल
आपको बता दें कि केंद्रीय शिक्षा नीति को कार्यान्वित करने के लिए गठित की जाने वाली प्रोग्राम मैनेजमेंट यूनिट में एनजीओ और सिविल सोसाइटी को भी जोड़ने की अनुशंसा की गई है। इसके आलोक में सभी डीईओ को निर्देश दिया गया है कि वे अपने-अपने जिले में कार्यरत ऐसे स्वयंसेवी संगठन और सामाजिक संस्थाओं से संवाद स्थापित कर सहयोगी मानसिकता विकसित करें। हर हाल में सिविल सोसाइटी का सहयोग उन्हें सुनिश्चित करना होगा। इसके साथ ही बेहतर स्कूल कैंपस का भी डीईओ निरीक्षण करेंगे और शेष स्कूलों को भी उनके सरीखा बनाने की पहल की जाएगी।