बिहार विधानसभा चुनाव में शुरू हुआ रोमांच, लोजपा पार्टी में मिल रहा बागियों को ठिकाना
बिहार विधानसभा चुनावी संग्राम में सियासत का संघर्ष बदलता नजर आ रहा है. टिकट कटने या सहयोगी दलों के हिस्से में सीट जाने के बाद गावती तेवर अपनाए नेताओं के लिए सहारा के रूप में लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) का ठिकाना मिल रहा है, जिससे चुनावी संघर्ष रोमांचक हो गया है. केंद्र में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में शामिल लोजपा बिहार चुनाव में भले ही राजग से अलग चुनावी मैदान में हो, लेकिन बगावती तेवर अपना चुके राजग नेताओं के लिए लोजपा बिहार में शरणस्थली बनी हुई है. लोजपा में जाने वाले नेताओं को लोजपा के रूप में ‘अपनों’ का साथ भले ही मिला हो लेकिन राजग के नेताओं ने स्पष्ट कर दिया है कि लोजपा अब राजग में नहीं है|
सूत्र बताते हैं कि भोजपुर के भाजपा नेता राम संजीवन सिंह, जहानाबाद के देवेश शर्मा, गया के रामावतार सिंह, जदयू के औरंगाबाद जिला के पूर्व उपाध्यक्ष आर एस सिंह तथा खगड़िया के पूर्व जदयू उपाध्यक्ष कपिलदेव सिंह समेत कई नेता लोजपा के संपर्क में हैं. लोजपा के एक नेता कहते हैं|
लोजपा के वरिष्ठ नेता और पार्टी के मीडिया पैनल में शामिल संजय सर्राफ ने आईएएनएस से कहा कि अगर कोई पार्टी की सदस्यता ग्रहण करता है तो इसमें कोई बुराई है क्या? उन्होंने कहा कि भाजपा, जदयू के कई मंत्री अभी पार्टी के संपर्क में है. उन्होंने एक प्रश्न के उत्तर में कहा, “लोजपा 143 सीटों पर प्रत्याशियों की सूची तैयार कर रखी है, लेकिन हाल ही में पार्टी में शामिल हुए नेताओं में से कोई कद्दावर या मजबूत वोट आधार वाला नेता होंगे तो कार्यकर्ताओं की राय के बाद उसे भी टिकट दिया जा सकता है. प्रत्याशी चयन में कार्यकर्ताओं की उपेक्षा नहीं की जाएगी.”