Bihar Weather: पटना समेत बिहार के कई जिलों में मिचौंग तूफान का असर, बढ़ी ठंड, गर्म कपड़ों की मांग

 Bihar Weather: पटना समेत बिहार के कई जिलों में मिचौंग तूफान का असर, बढ़ी ठंड, गर्म कपड़ों की मांग

राजधानी पटना समेत बिहार के कई जिलों में बुधवार और गुरुवार को हुई बूंदाबांदी और हल्की कहीं तेज मध्यम बारिश से राज्य की न्यूनतम तापमान में अचानक तेजी से गिरावट दर्ज की गई I पटना मौसम विभाग के अनुसार बिहार के कई जिलों में मिचौंग तूफान का असर देखने को मिला है I कहीं हल्की तेज बूंदाबांदी तो कहीं तेज मध्यम स्कीतर की बारिश से मौसम में अचानक करवट बदली और ठंड बढ़ा दिया है I पटना समेत कई जिले में गुरुवार को सुबह से लेकर देर रात तक रुक-रुक कर वर्षा होती रही और लोग भीगते रहे I अचानक ठंड में बगैर गर्म कपड़ों के निकले लोगों को काफी परेशानी हुई I

वही देर शाम मार्केट में गर्म कपड़ों की खरीदारों की भीड़ बढ़ गई I ठंड में बढ़ोतरी होते ही बाजार में गर्म कपड़ों की मांग बढ़ गई है I दुकानों पर खरीदारों की भीड़ आने लगी है I टोपी, मफलर, चादर, कंबल, स्वेटर जैसे गर्म कपड़ों की लोग खूब खरीदारी कर रहे हैं I मौसम विभाग का मानना है कि अगले कुछ दिनों में न्यूनतम तापमान में और तेजी से गिरावट आएगी और ठंड का प्रकोप बढ़ेगा I मौसम विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने लोगों से अपील किया है कि गर्म कपड़े पहनकर ही बाहर निकले I बच्चे बीमार एवं बूढ़ों को विशेष रूप से गर्म कपड़े से ढक कर रखें और जरूरत नहीं हो तो उन्हें बाहर नहीं निकलने दे I

मौसम विभाग के अनुसार पछुआ हवा के प्रवाह से ठंड और कनकनी बढ़ेगी.10 दिसंबर के बाद ठंड ज्यादा बढ़ेगी I किसानों भाई आठ दिसंबर के बाद गेहूं की बुआई प्रारंभ कर सकते है, राज्य में गेहूं की बुवाई के लिए बढ़िया समय और अनुकूल वातावरण बना है I तापमान में गिरावट नहीं होने से किसान गेहूं की बुआई नहीं कर पा रहे थे I खेती लगातार पिछड़ती जा रही थी I बीज के अंकुरण में समस्या होने का डर सता रहा था I वही पटना, अरवल, भागलपुर, नालंदा, नवादा, बांका, औरंगाबाद, जहानाबाद, रोहतास और बेगूसराय में हल्की बारिश और मध्यम गति की हवा चल रही थी I गया जिले के फतेहपुर में सबसे अधिक वर्षा हुई I राज्य का अधिकांश जिला में दिन भर आसमान में बादल छाए रहे और वर्षा होती रहीI राजधानी पटना का आसपास के इलाकों में अचानक दोपहर से पहले ही बारिश शुरू हुई और देर शाम तक बारिश हल्की कहीं रुक रुक कर होती ही रहे।

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