शराबबंदी से बिहार के विकास को मिली रफ्तार, कोरोना काल भी आगे बढ़ने से नहीं रोक सका

 शराबबंदी से बिहार के विकास को मिली रफ्तार, कोरोना काल भी आगे बढ़ने से नहीं रोक सका

बिहार में शराबबंदी के 5 साल पूरे होने के बाद अब इसके परिणामों को लेकर बहस का दौर जारी है। इसके तमाम कुतर्कों को धत्ता बताते हुए शराबबंदी बिहार के विकास में बाधा की जगह प्रगति को रफ्तार देने वाला साबित हुआ है। कोरोना काल ने जब देश के विकास का पहिया थाम दिया। उस समय भी बिहार को आगे बढ़ने से नहीं रोक सका।

आपको बता दें देश के ज्यादातर प्रदेशों की विकास दर नकारात्मक रहने के बावजूद बिहार 2.5% की दर से आगे बढ़ा। शराबबंदी के कारण नशाखोरी में आई कमी का सबसे अधिक सकारात्मक परिणाम ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर दिख रहा है। राज्य की 2.5% प्रगति में पशुपालन का बहुत बड़ा योगदान है। 2019-20 की तुलना में प्रदेश में पशुपालन की अर्थव्यवस्था 11.9% आगे बढ़ी है।

इससे साफ जाहिर होता है कि नशा से बचने के कारण बर्बाद होने वाले समय को ग्रामीणों ने पशुपालन में देकर अपनी आर्थिक स्थिति सुधारी है। शहरों में भी शराबबंदी का सकारात्मक पक्ष दिख रहा है। पशुपालन की तरह वित्तीय सेवाओं में भी 11.9% की तेजी दिख रही है। इससे वित्तीय सेवाएं ग्रामीण इलाकों की जगह शहरों में ही ज्यादा बढ़ी हैं। शराब के दुष्प्रभाव से बेअसर लोगों ने आर्थिक गतिविधियों में अपने योगदान को बढ़ाया है।

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