गिरिराज जी की परिक्रमा लगाने से मनुष्य के मिट जाते हैं सभी संकट- आचार्य ज्ञानेश तिवारी
औरंगाबाद: मोहर्रम की पांच तारीख को शिया समुदाय के लोगों ने कर्बला के मैदान में अत्याचारी यजीद के हाथों पैगम्बर हजरत इमाम हुसैन की शहादत के प्रतीक दुलदुल का जुलूस निकाला। मोहल्ला सादात स्थित बड़े इमाम बाडे से सोमवार की दोपहर दुलदुल का आगाज हुआ । शाहिद नक़वी ने पहला नोहा पढ़ा।दुलदुल के साथ सैंकड़ों शोगवार रंजोगम का इजहार करते काले वस्त्र धारण किए नंगें पैरों शहादत का बखान करते हुए चल रहे थे। जुलूस की अगुवाई अलम उठाये लोग कर रहे थे।
आपको बता दें दुलदुल का दीदार करने आसपास ही नहीं वल्कि दूरदराज से लोगों का अपार जनसमूह उमड़ पड़ा। दर्शकों ने दुलदुल को भीगे चने, बताशे, जलेबी, रूपए पैसे वस्त्र आदि निछावर कर अपने बच्चों की सलामती की मन्नत मांगी। सादात से शुरू होकर मेनबाजार,गली भड़भूजा,कसाई वाडा, स्याना सिकंदरा, टंकी रोड होता हुआ बुर्ज इमामबाड़ा पहुंचकर मातम में तब्दील हो गया।
सैंकड़ों शोगवारो ने इमाम हुसैन या अली पुकारते हुए मातम शुरू कर दिया। खंजरों, जंजीरों से सीना जनी की गई। इमामबाड़ा पहुंचकर शोगवारो ने सिरों का मातम शुरू कर दिया। देर तक मातम और रंजोगम का इजहार करने के पश्चात तब्बरूख तकसीम कर समापन किया गया। थाना प्रभारी जितेंद्र सिंह भारी पुलिस बल के साथ जुलूस के साथ कड़ी सुरक्षा बनाए रहे।