हिन्दी और भोजपुरी के सुप्रिसद्ध नाटककार, साहित्यकार सतीश प्रसाद सिन्हा जी की मनाई गई पुण्यतिथि

 हिन्दी और भोजपुरी के सुप्रिसद्ध नाटककार, साहित्यकार सतीश प्रसाद सिन्हा जी की मनाई गई   पुण्यतिथि

पटना: “ये मौत आकर तू खामोश करती/ सदियों, लोगों के दिलों में धड़कता रहूँगा/” बिहार राज्य गीत के रचयिता और अध्यक्ष-हिन्दी प्रगति समिति राजभाषा विभाग, बिहार सरकार एवं प्रसिद्ध कवि सत्य नारायण जी ने (14 अप्रैल 2022 को लेख्य मंजूषा (साहित्य और समाज के प्रति जागरूक करती पंजीकृत संस्था) द्वारा आयोजित अपने मासिक गद्य गोष्ठी में हिन्दी और भोजपुरी के सुप्रिसद्ध नाटककार, साहित्यकार सतीश प्रसाद सिन्हा जी के प्रथम पुण्य स्मृति दिवस के कार्यक्रम में} अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा। वरिष्ठ साहित्यकार सुमन जी ने सतीश प्रसाद सिन्हा जी को याद करते हुए कहा कि सतीश जी ने भोजपुरी को भी एक ऊँचाई दी है। उन्हें लगा था कि हिन्दी साहित्य कह रही है मुझे क्यों उपेक्षित कर रहे हो। उन्होंने अंतिम छोर पर बैठे हुए व्यक्ति तक के लिए लिखा। नाटक ‘विद्रोह’ उन्होंने लिखा जिसका मंचन हुआ।


वरिष्ठ साहित्यकार आदरणीय भगवती प्रसाद द्विवेदी जी ने स्वर्गीय सतीश जी को एक मौन साधक बताया। लेख्य-मंजूषा द्वारा आयोजित कार्यक्रम के चार सत्र के प्रथम सत्र में स्वागत भाषण देते हुए राजेश सिन्हा (सतीश प्रसाद सिन्हा के बड़े सुपुत्र) अत्यंत भावुक हो गए। सतीश प्रसाद सिन्हा को शब्दांजली देने के साथ गुरुग्राम से पधारे, भारतीय वायु सेना में वरिष्ठ प्रशासनिक पदाधिकारी के पद से सेवा निवृत और कवि श्यामल सिन्हा जी की दो पुस्तकें (मुक्तक संग्रह) ‘पालकी हर श्रृंगार की’ और ‘मन सरगम तन तम्बूरा’ का लोकार्पण किया गया। शब्दांजली और लोकार्पण सत्र में सर्वश्री सत्यनारायण , भगवती प्रसाद द्विवेदी, गोरख प्रसाद मस्ताना(बेतिया से पधारे), डॉ. उषा सिन्हा, डॉ. अनिता राकेश, सुमन कुमार, रत्ना पुरकायस्था, सिद्धेश्वर, किशोर कुमार, कमलनयन श्रीवास्तव इत्यादि की उपस्थिति रही। सतीश प्रसाद के कनिष्ठ पुत्र रंजन कुमार, दामाद कमल किशोर सिन्हा, आखर संस्था से यशवंत मिश्र, संजय कुमार की गौरवमयी उपस्थिति रही।

सतीश प्रसाद सिन्हा जी द्वारा लिखित पुस्तक अंग वस्त्र और गुलाब से सभी अतिथियों का स्वागत संस्था के सदस्यों और रिश्तेदारों द्वारा किया गया।दूसरे सत्र में श्यामल सिन्हा जी का पुस्तक पर लेखकीय व्यक्तव्य हुआ। तृतीय सत्र में गद्य और चतुर्थ सत्र में पद्य का पाठ किया गया।
डॉ अर्चना त्रिपाठी, चैतन्य उषाकिरण चन्दन, आराधना प्रसाद रवि श्रीवास्तव, अमृता श्रीवास्तव, प्रियंका श्रीवास्तव, सुधा पाण्डेय, पूनम कतरियार, नसीम अख्तर, मधुरेश नारायण व अन्य सदस्यों ने अपनी रचना पाठ किया। कार्यक्रम के अंत में सभी को कवि सत्यनारायण और भगवती प्रसाद द्वारा स्मृति चिह्न स्वरूप प्रमाण-पत्र प्रदान किया गया।मंच संचालन का कार्य मधुरेश नारायण और रवि श्रीवास्तव ने किया।
पितृ ऋण चुकाने का माध्यम बनाये रंजन कुमार द्वारा धन्यवाद ज्ञापन का कार्य सम्पन्न हुआ।

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संवाददाता

पुजा कुमारी

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