चाणक्य नीति: ये 4 गुण वाले लोग पाते हैं सफलता, नहीं होते कभी निराश

 चाणक्य नीति: ये 4 गुण वाले लोग पाते हैं सफलता, नहीं होते कभी निराश

चंद्रगुप्त मौर्य को सम्राट बनाकर गद्दी पर बैठाने वाले आचार्य चाणक्य ने अपनी किताब ‘चाणक्य नीति’ में मनुष्यों की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए सैकड़ों नीतियों का वर्णन किया है| ये नीतियां मनुष्य के लिए काफी लाभदायक बताई गई हैं| ‘चाणक्य नीति’ के पांचवें अध्याय के दूसरे श्लोक में वो ऐसे गुणों का बखान करते हैं जिनके होने से मनुष्य का जीवन सफल हो जाता है| आइए जानते हैं उन गुणों के बारे में…

यथा चतुर्भि: कनकं परीक्ष्यते निघर्षणं छेदनतापताडनै:।
तथा चतुर्भि: पुरुषं परीक्ष्यते त्यागेन शीलेन गुणेन कर्मणा।।

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जिस प्रकार सोने का खरापन और खोटापन जानने के लिए घिसने, काटने, तपाने और कूटने से उसकी परीक्षा होती है, उसी प्रकार मनुष्य की परीक्षा दान, शील, गुण और आचरण से होती है. अर्थात पुरुष की परख उसके गुणों से होती है|

Chanakya Niti In Hindi: चाणक्य नीति: ये 4 गुण वाले लोग पाते हैं सफलता, नहीं  होते कभी निराश - Chanakya Niti In Hindi life management tips for examining  a person always remember

जिस प्रकार सोने को आग में तपाकर, कूट-पीटकर पता चलता है कि वह खरा है या नहीं, उसी प्रकार मनुष्य के चरित्र का पता उसके त्याग, शील आदि गुणों से होता है|

मनुष्य वह है जो दानी हो, शील से संपन्न हो, त्याग की भावना रखता हो और शुभ गुणों से सुशोभित हो, साथ ही उसका आचरण भी श्रेष्ठ हो| मनुष्य वही होता है जो मननशील होकर दूसरों के सुख-दुख, लाभ-हानि का भी ध्यान रखता है|

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