चाणक्‍य नीति: सुखी जीवन के लिए जरूर ध्यान रखें आचार्य चाणक्‍य की ये 5 बातें

 चाणक्‍य नीति: सुखी जीवन के लिए जरूर ध्यान रखें आचार्य चाणक्‍य की ये 5 बातें

आचार्य चाणक्य (Acharya Chanakya) ने नीति शास्त्र की रचना की और इसके माध्‍यम से अपने ज्ञान और अनुभव के आधार पर कई महत्‍वपूर्ण बातें बताई हैं. उन्‍होंने मित्र-भेद से लेकर दुश्मन की पहचान, राजा का कर्तव्य और जनता के अधिकारों के बारे में बताया है. उनकी कुशाग्र बुद्धि और तार्किकता से सभी लोग प्रभावित थे. यही वजह है कि वह कौटिल्य (Kautilya) कहे जाने लगे. वह एक कुशल राजनीतिज्ञ, चतुर कूटनीतिज्ञ, प्रकांड अर्थशास्त्री के रूप में विख्‍यात हुए. आचार्य चाणक्‍य कहते हैं कि ऐसी दौलत किस काम की जिसके लिए मुझे कठोर यातना सहनी पड़े या सदाचार का त्याग करना पड़े. या फिर अपने शत्रु की चापलूसी करनी पड़ जाए. इसके अलावा उन्‍होंने कई अन्‍य अहम बातों की ओर भी ध्‍यान दिलाया है. आप भी जानें-

चन्दन अपनी महक नहीं छोड़ता
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चाणक्‍य नीति के अनुसार चन्दन का पेड़ कट जाने पर भी अपनी महक नहीं छोड़ते. इसी तरह गन्ना निचोड़े जाने पर भी अपनी मिठास नहीं छोड़ता और गुणवान व्यक्ति अपने गुणों को नहीं छोड़ता, भले ही उसे कितनी भी गरीबी में क्यों न बसर करना पड़े.

प्रेम सबसे मजबूत बंधन

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आचार्य चाणक्य के अनुसार दुनिया में बांधने के ऐसे अनेक तरीके हैं, जिससे व्यक्ति को प्रभाव में लाया जा सकता है और नियंत्रित किया जा सकता है. मगर सबसे मजबूत बंधन प्रेम का है. इसका उदाहरण वह मधुमक्खी है, जो लकड़ी को छेद सकती है, लेकिन फूल की पंखुड़ियों को छेदना पसंद नहीं करती चाहे उसकी जान ही चली जाए.

ऐसे धन के होने से क्‍या लाभ

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आचार्य चाणक्‍य कहते हैं कि मुझे वह दौलत नहीं चाहिए जिसके लिए मुझे कठोर यातना सहनी पड़े या सदाचार का त्याग करना पड़े. या फिर अपने शत्रु की चापलूसी करनी पड़े.

ऐसे लोगों का अंत यही है

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चाणक्‍य नीति कहती है कि जो व्‍यक्ति अपनी दौलत, पकवान भोगकर भी संतुष्ट नहीं हुए, ऐसे बहुत लोग पहले मर चुके हैं और अभी भी मर रहे है. ऐसे लोग भविष्य में भी मरेंगे.

पुण्य कभी नष्ट नहीं होता

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आचार्य चाणक्‍य के अनुसार सभी परोपकार और तप तात्कालिक लाभ देते है, लेकिन सुपात्र को जो दान दिया जाता है और सभी जीवों को जो संरक्ष जाता है, उसका पुण्य कभी नष्ट नहीं होता.

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