मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बार फिर उठाया, बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग

 मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बार फिर उठाया, बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लंबे समय से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग कर रहे हैं। बीच में कुछ समय इसे लेकर शांत बैठे थे। लेकिन अब एक बार फिर से उन्होंने इस मुद्दे को उठाया है। नीतीश कुमार ने कहा यह बिहार की जरूरत है। राज्य की डिप्टी सीएम और बिहार की नेता रेनू देवी ने शनिवार को ही कहा था कि विशेष राज्य का दर्जा मांगने का कोई अर्थ नहीं है। उन्होंने ये भी कहा कि इस दावे को लेकर कोई विस्तृत जानकारी नहीं है। उनके इस बयान पर नीतीश कुमार ने बिना नाम लिए ही निशाना साधा है।

सीएम नीतीश कुमार ने कहा यदि राज्य में कोई स्पेशल स्टेटस की डिमांड का विरोध करता है तो संभव है कि उसे मुद्दे की जानकारी न हो। बता दें नीतीश कुमार बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग 2007 से ही करते आ रहे हैं। आमतौर पर चुनाव से पहले यह मांग और तेज हो जाती है। यदि बिहार को केंद्र सरकार विशेष राज्य का दर्जा देती है तो केंद्रीय योजनाओं की फंडिंग में उसकी हिस्सेदारी 90% हो जाती हैं। उसके बाद राज्य सरकार को 10% खर्च उठाना पड़ेगा।

आपको बता दें पहाड़ी राज्यों और पूर्वोत्तर के राज्यों को यह दर्जा प्राप्त है। लेकिन अन्य किसी मैदानी राज्य को ऐसा कोई स्टेटस नहीं मिला है। गैर विशेष राज्यों में चलने वाली केंद्रीय स्कीमों की फंडिंग में केंद्र और राज्य सरकार के खर्च का अनुपात 60:40 या फिर 80:20 रहता है। संविधान में किसी भी राज्य को विशेष दर्जा दिए जाने का प्रावधान नहीं है। लेकिन दुर्गम पहाड़ी राज्यों, ऐतिहासिक कारणों, अधिक आदिवासी आबादी अथवा कम जनसंख्या, रणनीतिक लिहाज से महत्वपूर्ण, आर्थिक और ढांचागत पिछड़ापन जैसे कारणों के आधार पर यह स्टेटस दिया जाता रहा है।

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