जातीय जनगणना को लेकर कोर्ट में दायर याचिका पर भड़के CM नीतीश कुमार, बोले-किसको क्या दिक्कत है?
बिहार में हो रही जातीय जनगणना को लेकर कोर्ट में लगातार याचिका दायर हो रही है I इस पर शुक्रवार को सीएम नीतीश कुमार ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि इससे किसी को क्या परेशानी है? अनुसूचित जाति और जनजाति,पिछड़ों और अति पिछड़ों की संख्या बढ़ती है या जो भी हो, उससे क्या दिक्कत है? वहीं, सीएम नीतीश कुमार के इस बयान के बाद सवाल उठने लगे हैं कि सीएम को कैसे पता है कि गणना के बाद सिर्फ अनुसूचित जाति और जनजाति, पिछड़ों और अति पिछड़ों की संख्या बढ़ने वाली है?
CM नीतीश कुमार ने कहा कि जाति आधारित गणना हम लोग कर रहे हैं, ये जाति आधारित जनगणना नहीं है I जनगणना करवाना केंद्र सरकार का काम है I 2011 में केंद्र सरकार ने जनगणना के अलावा जाति आधारित जनगणना भी करवाई थी लेकिन कभी आंकड़ा पब्लिश नहीं किया गया I ऑल पार्टी प्रतिनिधिमंडल को लेकर हम पीएम से मिले थे और मांग किये थे कि जातीय जनगणना कराइए, लेकिन केंद्र सरकार की ओर से मना कर दिया गया कि नहीं कराया जाएगा I खुद करा लीजिए I अब बिहार सरकार खुद से जातीय जनगणना करा रही है तो इसको जगह-जगह चुनौती दी जा रही है I
आपको बता दें सीएम ने अपने संबोधन में अधिकारियों से कहा कि हम लोग जाति आधारित गणना जो करवा रहे हैं ये आप सब लोगों का दायित्व है I जातीय जनगणना कराने के बिहार सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है I याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार को जाति जनगणना कराने का संवैधानिक अधिकार नहीं है I साथ ही इस पर खर्च हो रहा 500 करोड़ रुपये भी टैक्स के पैसों की बर्बादी है I