कोरोना महामारी के बीच हाजीपुर अस्पताल में तोड़ फोड़ और बदसलूकी
सदर अस्पताल के एमरजेंसी वार्ड में मंगलवार की सुबह 10 बजे मरीज की मौत के बाद मृतक महिला के परिजनों ने डॉक्टर व स्वास्थ्यकर्मियों पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगाते हुए न केवल हंगामा किया, बल्कि अस्पताल में जमकर तोड़फोड़ की। जिससे यहां भर्ती अन्य मरीजों को भी परेशानी का सामना करना पड़ा।
वहीं यहां तैनात कर्मियों ने भागकर अपनी जान बचाई। इतना ही नहीं मृतक के परिजनों ने अस्पताल की एक पुरुष व एक महिला नर्स के साथ भी मारपीट की। जिसके चलते उसे काफी गंभीर चोटें आई है। उसे ईलाज के लिए भर्ती किया है। चिकित्सकों व कर्मियों के साथ मारपीट व बदसलूकी भी की। सूचना मिलते ही सदर एसडीपीओ राघव दयाल समेत कई अधिकारी सदर अस्पताल पहुंचे और स्थिति को नियंत्रित करते हुए मौके से दो परिजनों को गिरफ्तार किया। मारपीट को लेकर नाराज डॉक्टरों व कर्मियों ने अस्पताल की सभी सेवा ठप कर सुरक्षा की मांग कर रहे थे।
सदर थाना क्षेत्र के बासदेवपुर चपुता निवासी ज्वाला महतो अपने 50 वर्षीय मां सुमित्रा देवी को इलाज के लिए सदर अस्पताल लेकर आए। उन्हें सुबह से ही सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। मृतक के स्वजनों ने आरोप लगाया कि यहां पहुंचने के बाद किसी भी डॉक्टर व नर्सिंग स्टाफ ने इलाज के लिए कोई सकारात्मक पहल नहीं की। इसकी वजह से अस्पताल में ऑक्सीजन उपलब्ध होते हुए भी मरीज की मौत हो गई। आरोप था कि अस्पताल में सारी सुविधाएं मौजूद होने के बावजूद भी डॉक्टरों की लापरवाही से उनके मरीज का समय पर इलाज नहीं हो सका इस कारण उनकी मौत हो गई। मरीज की मौत के बाद उग्र लोगों ने अस्पताल में जमकर तोड़फोड़ की व हंगामा किया। इस दौरान एक चिकित्सक व नर्सिंग स्टाफ को भी चोटें आईं।
घटना की सूचना मिलते ही सदर एसडीपीओ, नगर थानाध्यक्ष सुबोध कुमार, सिविल सर्जन डॉ इन्द्रदेव रंजन अस्पताल पहुंचे। मारपीट में घायल जीएनएम राकेश कुमार व गुंजा कुमारी एवं अस्पताल सुरक्षा कर्मी संजय सिंह, आरएन सिंह से मिलकर घटना के बारे में जानकारी लिया। वही मृतक के परिजन ज्वाला महतो, शर्मीला कुमारी को मौके से गिरफ्तार किया गया है, वही 4 अन्य परिजनों पर प्राथमिकी दर्ज की गई है।
एसडीपीओ ने बताया कि डॉक्टर के बयान के बाद प्राथमिकी दर्ज कर उचित कार्रवाई की जाएगी। मौके पर पहुंची पुलिस अधिकारियों के समक्ष डॉक्टरों ने अस्पताल परिसर में सुरक्षाकर्मियों की संख्या एकदम कम होने की बात कही। कहा कि जो हैं भी वे लापरवाह हैं। तथा जो कुछ हैं भी है तो उनके लापरवाह रवैया के कारण भी आए दिन हंगामा हो रहा है। डॉक्टरों और नर्सों ने अधिकारियों से कहा कि हंगामे के दौरान पुलिस अधिकारी मौजूद तो थे लेकिन हंगामे के दौरान मूक दर्शक बने रहे। सुरक्षाकर्मी के इस रवैये से हंगामा करने वालों का मनोबल बढ़ता गया और वह मारपीट पर उतारू हो गए।