बिहार की कला-संस्कृति को सहेजने-संवारने में प्रयासरत हैं दीप श्रेष्ठ

 बिहार की कला-संस्कृति को सहेजने-संवारने में प्रयासरत हैं दीप श्रेष्ठ

पटना : 12 अप्रैल भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में दीप श्रेष्ठ को एक ऐसी शख्सियत के तौर पर शुमार किया जाता हैं, जिन्होंने न सिर्फ अभिनय बल्कि फिल्म निर्माण और निर्देशन से भी दर्शकों के बीच अपनी खास पहान बनायी। कायस्थ परिवार मे जन्में दीप श्रेष्ठ ने भोजपुरी फ़िल्म उद्योग मे इतिहास रचा है, जिसके उदय से ,अंधकार का अंत हो जाए। जो जले, तो उसकी रौशनी से हर आंगन रौशन हो जाए ।जिसके प्रकाश में ज्ञान प्राप्त कर साधारण मानव भी श्रेष्ठ बन जाए। ऐसा होता है दीप, जो खुद जलकर दूसरों के जीवन में प्रकाश का पुंज प्रवाहित कर देता है।भोजपुरी इंडस्ट्री को सहेजने-सवारने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाले स्वर्गीय विश्वनाथ प्रसाद वर्मा के चौथे पुत्र दीप श्रेष्ठ ने वर्ष 2001 में गवनवा ले जा राजा जी अलबम बना कर भोजपुरी फ़िल्म उद्योग की दशा दिशा बदल दी। दीप श्रेष्ठ के पिता विश्वनाथ प्रसाद वर्मा सेना में अपनी सेवा दे चुके हैं ।उन्होंने बाद में उन्होंने पटना आकर बिजनेस किया और पटना के कदम कुआं में राज होटल की स्थापना की।

राजकपूर और देवानंद को आदर्श मानने वाले दीप श्रेष्ठ को भोजपुरी फिल्मो के तीसरे दोर की पहली पारिवारिक भोजपुरी फ़िल्म माई के दुलार के निर्माण और निर्देशन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। बिहार की लोक गीत,लोक संस्कृति, संस्कार गीत एवं छठ महापर्व के गीतों की विरासत को बचाने के प्रयास का नाम है दीप श्रेष्ठ। दीप श्रेष्ठ ही वे शख्स हैं जिनके खाते में बिहार कोकिला शारदा सिन्हा कल्पना अनुराधा पोडवाल भरत शर्मा के सभी महत्वपूर्ण गीतों को बिहारी संस्कृति के ताने-बाने में बुनकर वीडियो के रूप में जनता के सामने लाने का श्रेय जाता है। तीन दयाक से दीप श्रेष्ठ ने बिहारी संस्कृति से जुड़े सभी संस्कार पर्व एवं त्यौहार के गीतों की श्रृंखला बनाई हैं। चाहे भोजपुरी हो या मैथिली।दीप श्रेष्ठ ही थे ,जिन्होंने टी सीरीज के माध्यम से बिहारी लोक संगीत को एक नया आयाम दिया और उनके वीडियो बाजार में उतारे। टी सीरीज ने इस कार्य के लिए दीप श्रेष्ठ को चुना और उन्होंने बिहारी संस्कृति के अनुरूप भोजपुरी गीतों को संस्कृति की माला में पिरो कर एल्बम की दुनिया में क्रांति ला दी।लोग दीप को वीडीयो किंग के नाम से पुकारने लगे।

दीप श्रेष्ठ का गांव से नाता नहीं रहा, पटना में ही अपने पांच भाई और दो बहनों के बीच उनका बचपन बीता। सर गणेश दत्त मेमोरियल स्कूल पाटलिपुत्र से उनकी पढ़ाई शुरू हुई जो एन कॉलेज में जाकर संपन्न हुयी। शुरू से ही उनका रुझान कला के क्षेत्र में रहा उन्होंने मोहल्ला स्तर पर हो रहे नाटकों में भाग लेना शुरू कर दिया और यहीं से उनकी दिशा बदल गई ।अब वह नाटक और कला के क्षेत्र में अपना भविष्य देखने लगे। नाटकों में दीप श्रेष्ठ को पहली बार बड़े स्तर पर पहचान तब मिला जब वे मणि मधुकर रचित नाटक रस गंधर्व का सफल मंचन किया।बाद में उन्होंने मुंबई जाकर पृथ्वी थियेटर में नाटको के मचन मे भाग लिया। नाटकों के बाद जब दीप श्रेष्ठ ने एल्बम की ओर रुख किया तो सबसे पहले भरत शर्मा और गोपाल राय के वीडियो एल्बम बनाएं। इसके बाद वे कभी पीछे मुड़कर नहीं देखे। उन्होंने पदम विभूषण बिहार कोकिला शारदा सिन्हा जी के गीतों को अपने निर्देशन में विजुलाइज करना शुरू किया।

परंपराओं के बीच रचे बसे दीप ने जब माई के दुलार फिल्म बनाई तो उन्होंने पारंपरिक गीतों को उसमें डालकर भोजपुरिया संस्कृति को दिखाने का सफल प्रयास किया। भोजपुरी फिल्म उद्योग के तीसरे दौर की यह पहली परिवारिक फिल्म थी, जिसमें संस्कार गीतों को बखूबी इस्तेमाल किया गया था।दीप श्रेष्ठ ने बिहार के भोजपुरी मैथिली एवं अंगिका भाषाओं के संस्कार गीतों को जीवित करने की ठानी और अपने निर्देशन में पुरानी परम्पराओं को जीवित करने का प्रयास किया है |भावी पीढ़ी के बीच हमारी परंपरा गत बाँस की बनाई डोली, बाँस से बनी विवाह मंडप , परंपरागत छठ पूजा और उसके रस्मों को इन्होंने हूबहू फिल्मांकन कर अपने वीडियो के माध्यम से अपनी विरासत को बचानेका भरपूर प्रयास किया | बिहार की लोक गीत लोक संस्कृति और धरोहरों के उपर विरासत नाम का सिरीयल बना कर दूरदर्शन पर लाये और बिहार की विरासत को बचाने का प्रयास किया दीप श्रेष्ठ ने ।

दीप जी ने बतौर एक्टर दामुल गगा के पार सईया हमार गगा अईसन माई हमार बेटी भईल परदेशी माई के दुलार इत्यादि करीब 35 फ़िल्मों मे काम किया और लगभग 1200 सौ गानो में अभिनय किया है एल्बम गवनवा ले जा राजा जी में काम किया और इस एल्बम ने भोजपुरी इंडस्ट्री में धूम मचा दी। दीप जी के खाते में सैकड़ों एल्बम, कई भोजपुरी फिल्म आई ।दीप श्रेष्ठ को भोजपुरी का सबसे बड़ा अवार्ड भिखारी ठाकुर सम्मान के साथ-साथ दिल्ली में भारतश्री,बिहार में कलाश्री,ओमान के मस्कट में बेस्ट डायरेक्टर अवार्ड मसकट गडाह महोत्सव उतर प्रदेश मे बेस्ट डायरेक्टर अवार्ड मिला दैनिक जागरण ने बेस्ट डायरेक्टर अवार्ड दिया चित्रगुप्त आदि मंदिर पटना मे बेसट डायरेक्टर अवार्ड,संस्कार भारती सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावे दीप श्रेष्ठ लगभग दो सौ छोटे बड़े सम्मान से सम्मानित किए जा चुके हैं।अभी हाल मे ही उन्हें दादा साहब फाल्के इण्डियन टेलीविजन अवार्ड मुम्बई मे जबकि महादेवी वर्मा स्मृति सम्मान नयी दिल्ली में मिला है।। दीप श्रेष्ठ बिहार प्रदेश भाजपा कला संस्कृति प्रकोष्ठ से जुटे है। दीप श्रेष्ष्ठ ग्लोबल कायस्थ कॉन्फ्रेंस कला एवं सांस्कृतिक प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय संयोजक भी है।

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