एमिटी विश्वविद्यालय, पटना द्वारा आयोजित फिल्म फेस्टिवल का उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने किया उद्घाटन
पटना : 13 मई एमिटी विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित फिल्म फेस्टिवल का उद्घाटन करते हुए बिहार के उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने कहा कि फिल्में सामाजिक बदलाव का सशक्त माध्यम हैं। फिल्मों, टेलीविजन और जनसंचार का जन-जीवन पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है।
उन्होंने कहा कि भारत की गौरवशाली सांस्कृतिक परंपरा रही है। प्राचीन समय ने भारत विश्व गुरु की भूमिका में रहा है। इस देश ने कई झंझावातों को झेला है, परंतु संघर्षों के बाद भी भारत ने अपने नैतिक मूल्यों को कभी नहीं खोया। भारत देवभूमि है और बिहार ज्ञान एवं विज्ञान की भूमि है। इस पावन धरती को बुद्ध, महावीर, चाणक्य, चंद्रगुप्त, आर्यभट्ट, डॉ० राजेंद्र प्रसाद, जयप्रकाश नारायण जैसे अनगिनत महापुरुषों के जन्मभूमि और कर्मभूमि होने का गौरव प्राप्त है। यह पवित्र भूमि माता सीता की प्राकट्य स्थली रही है। प्रभु श्री राम को मर्यादा पुरुषोत्तम बनाने में माता जानकी का बहुत बड़ा योगदान है और वे धैर्य और समर्पण के लिए समस्त विश्व में प्रतिष्ठित हैं। उन्होंने कहा कि बिहार के श्रमवीरों और कर्मवीरों ने देश की खुशहाली और समृद्धि में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इसे सींचा और संवारा है। बिहार पर आधारित फिल्मों की विषय वस्तु के लिए असंख्य गौरवशाली थीम विद्यमान हैं।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि आजादी के 75 वर्ष के उपलक्ष में हम अमृत महोत्सव मना रहे हैं। हमारा प्रयास होना चाहिए कि अतीत के स्वर्णिम बुनियाद पर आने वाले 25 वर्षों में नए भारत के निर्माण का खाका तैयार करें। हमारे नौजवान वर्तमान भारत के भविष्य हैं। उन्होंने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के कुशल मार्गदर्शन और सबल नेतृत्व से भारतीय तिरंगे की ताकत को वैश्विक पहचान मिली है, वहीं बिहार में लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार की दूरदर्शी और विकासपरक सोच की बदौलत बिहार में प्रत्येक क्षेत्रों में सभी वर्गों के लिए संकल्पित कार्य हुए हैं। उन्होंने कहा कि सिनेमा के माध्यम से हमें अपने अतीत के गौरवशाली बुनियाद पर स्वर्णिम बिहार और सशक्त भारत की अभिव्यक्ति को रेखांकित करने की जरूरत है। हमारे रीति-रिवाज वैज्ञानिक कसौटी पर कसे गए हैं। अपने मजबूत अतीत के गौरवशाली परंपरा को बहाल रखते हुए स्वर्णिम आत्मनिर्भर भारत के सपनों को फिल्मों के माध्यम से अभिव्यक्त किया जाना चाहिए।
उन्होंने इस अद्भुत, सुविचारित एमिटी फिल्म फेस्टिवल की सफलता की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि आने वाली पीढ़ियों के लिए इस राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और पूरे देश में एक मजबूत “सांस्कृतिक जीवंतता” बनाने हेतु लगातार हम काम कर रहे हैं। हमारी सरकार अपनी समावेशी विकास की रणनीति के माध्यम से बिहार को सभी आयामों में भारत का सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाने के लिए प्रतिबद्ध है, जिसमें बुनियादी ढांचा, स्वास्थ्य, शिक्षा और वित्तीय संसाधन आदि शामिल हैं। उन्होंने कहा कि एमिटी फिल्म फेस्टिवल जीवन के विभिन्न पहलुओं और इसके विभिन्न आयामों को प्रदर्शित करने वाले महत्वाकांक्षी और उभरते फिल्म निर्माताओं द्वारा अद्भुत फिल्मों और लघु फिल्मों के साथ उपयोगी परिणाम देने की दिशा में सार्थक सिद्ध होगा। उन्होंने इस अवसर पर प्रतिभागियों एवं विद्यार्थियों का आह्वान करते हुए कहा कि मोबाइल पर आजकल लोग जरूरत से ज्यादा व्यस्त दिखते हैं। इससे समय की काफी बर्बादी होती है। मोबाइल का उपयोग बौद्धिक ज्ञान और क्षमता के विकास में किया जाना चाहिए। जीवन में सफलता के लिए समय प्रबंधन काफी आवश्यक है।
इस अवसर पर एमिटी ग्रुप के वाइस प्रेसिडेंट श्री गौरव गुप्ता ने वर्चुअल रुप से फिल्म फेस्टिवल की उपयोगिता को रेखांकित किया। कार्यक्रम के दौरान एमिटी विश्वविद्यालय के प्रो-वाइस चांसलर श्री विवेकानंद पांडे, एमिटी स्कूल ऑफ कम्युनिकेशन की सहायक निदेशक प्रोफेसर श्वेता प्रिया, विश्वविद्यालय के फैकल्टी, स्टॉफ, विद्यार्थीगण एवं अन्य गणमान्य अतिथि उपस्थित थे।