विद्यालय की शिक्षिकाओं के साथ बालमन की वर्तमान चुनौतियों को लेकर चर्चा
डीपीएस यमुनापुरम बुलंदशहर में आज प्रधानाचार्य श्रीमती शिप्रा सिंह और उनके विद्यालय की शिक्षिकाओं के साथ बालमन की वर्तमान चुनौतियों को लेकर चर्चा में बेहद महत्वपूर्ण और उपयोगी विचारों का आदान प्रदान हुआ। अध्यापिकाओं ने अपने विचार रखते हुए कहां कि हम समय और तकनीक को पीछे नहीं ले जा सकते।न ही बच्चों को तकनीक से अलग रख सकते हैं।
उन्होंने ये भी कहा कि किसी भी तकनीक के उपयोग और दुरुपयोग को मां-बाप जाने और अपने बच्चों को उसके सदुपयोग की जानकारी देकर उसका लाभ बच्चों को उठाने की प्रेरणा दें। अध्यापकों ने कहा कि हैप्पीनेस हर व्यक्ति का मूल स्वभाव है और यह आनंद खेल – कूद,अध्ययन, विभिन्न कलाओं, तकनीक, इनोवेशन आदि से मिलता है। बच्चों की दुनिया विभिन्न कारणों से बेहद सकरी कर दिए जाने से,बच्चे मोबाइल, ऑनलाइन खेल,मनोरंजन के दुष्चक्र में फंस कर हिंसालु, अवसाद ग्रस्त और अपराध की ओर उन्मुख हो रहे हैं।
इसके अलावा बच्चों के पालन-पोषण,संस्कार-शिक्षा के दो ही माली हैं, जिन्हें शिक्षक और मां-बाप कहा जाता है। बच्चों के जीवन में इन दोनों का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। इसलिए इन दोनों मालियों को अपने जीवन का उद्देश्य और आदर्श स्पष्ट रूप से समझना और लागू करना है। आज मां अपने बच्चों को गर्भ में मोबाइल,नैट का अभ्यस्त बना रही हैं। इसलिए गर्भसथ शिशु के भविष्य को ध्यान में रखकर मातृ वर्ग अपने विचार और व्यवहार को बेहद सावधानी से विचारें। बच्चों को बेहतर नागरिक बनाने के लिए माता- पिता संयुक्त परिवार जैसी परिस्थितियों पर यदा-कदा लागू करें। नेट पर उपलब्ध खेलों में कार्टून के माध्यम से कहानी सुनाना प्रमुख है। इसलिए मां बाप अपने बच्चों को कहानी जरूर सुनाएं।