वैशाली में जरूरमंद लोगों के बीच कंबल, कपड़ा और भोजन सामग्री का वितरण

 वैशाली में जरूरमंद लोगों के बीच कंबल, कपड़ा और भोजन सामग्री का वितरण

हाजीपुर: जन स्वास्थ्य कल्याण समिति के सचिव डा.एल.बी.सिंह और दीदीजी फाउंडेशन की संस्थापक समाजसेवी डा. नम्रता आनंद तथा समाजसेवी रघुवर मोची ने जरूरमंद लोगों के बीच कंबल, तोसक ,कपड़ा और भोजन का वितरण किया।

वैशाली जिले के बेलसर पुलिस आउट पोस्ट के हौजपुरा गांव के वार्ड नंबर 2 निवासी मोहम्मद मुनिफ साई, मोहम्मद सलीम साई, मोहम्मद जाकिर साई, मोहम्मद बाबू जान, मोहम्मद इस्लाम के घरों में पिछले दिनों आग लग गयी थी, जिससे लाखों रूपये की क्षति हुयी थी। इस बारे में जब जन स्वास्थ्य कल्याण समिति के सचिव डा.एल.बी.सिंह को पता चला तब वह दीदीजी फाउंडेशन की संस्थापक समाज सेवी डा. नम्रता आनंद, समाजसेवी रघुवर मोची और अपनी टीम के साथ पीड़ित परिवार के सदस्यों से मिलने पहुंचे और उनके बीच कंबल, तोसक,कपड़ा और भोजन समेत अन्य जरूरी सामग्री का वितरण किया।

इस अवसार पर डा. एलबी सिंह ने कहा कि जरूरतमंदों तक मदद पहुंचाया जाना बेहद जरूरी है। पीड़ित परिवार के सदस्यों की मदद कर मन में सुखद अनूभूति हो रही है। हमारी कोशिश रहती है कि लोगों के बीच अधिक से अधिक मदद पहुंचायी जा सके। समाज सेवा का जज्बा यदि इंसान के अंदर हो तब वह किसी भी मुश्किल का सामना कर सेवा कर ही लेता है। हम तन-मन धन सभी तरह से समाज की सेवा कर सकते है।समाज सेवा के लिए भौतिक संसाधनों से कहीं अधिक दिल में समाज सेवा की भावना का होना आवश्यक होता है।

इस अवसर पर डा. नम्रता आनंद ने कहा,सेवा के साथ संस्कार जुड़ा हुआ है। उनकी संस्था दीदीजी फाउंडेशन बिना किसी अपेक्षा के समाज के पिछड़े वर्ग की सेवा और देश की भावी पीढ़ी को संस्कारित करने का कार्य समर्पण भाव से करती है।समाजसेवा करने के लिए मनुष्य में जज्बा भी होना चाहिए। समाज सेवा करना सभी मनुष्यों का नैतिक उत्तरदायित्व है। अपना नैतिक कत्र्तव्य समझते हुए मानव को यह कार्य करना चाहिए। हम सभी को अपने दिल में समाज एवं देश के प्रति कुछ करने का जज्बा रखना चाहिए. जब भी सेवा का मौका मिले हमें आगे आकर उसे करना चाहिए।

समाजसेवी रघुवर मोची ने कहा एक सामाजिक नागरिक के रूप में हमारा यह दायित्व भी हैं कि हम समाज में व्याप्त कुरीतियों और बुराइयों को खत्म करने की दिशा में काम करें और लोगों को भी प्रेरित करें, ऐसे छोटे छोटे प्रयासों से ही सामाजिक आन्दोलन खड़े कर बड़े सुधार किये जा सकते हैं।

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