क्या आपको याद हैं देश के इतिहास के 7 सबसे आइकॉनिक (Iconic)बजट?
एक फरवरी को संसद में वित्त वर्ष 2021-22 का आम बजट वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) पेश करेंगी. इससे पहले जानिए कि भारत के इतिहास में कौन से बजट ऐतिहासिक (Historic Budgets) रहे और किन व्यवस्थाओं की वजह से आज भी याद किए जाते हैं. आपको यह भी पता चलेगा कि कैसे इन यादगार बजट से देश की अर्थव्यवस्था (Economy of India) का निर्माण व विकास हुआ.
1947 – आज़ाद भारत का पहला बजट पेश किया गया. देश के पहले वित्त मंत्री आरके शनमुखम चेट्टी ने स्वतंत्र भारत का पहला बजट पेश करते हुए 197.39 करोड़ रुपये के कुल व्यय का 46 फीसदी देश के रक्षा विभाग के लिए जारी किया था. इस बजट को कई मायनों में बुनियादी और दूरगामी परिणामों वाला माना गया था.
1951 – यह गणतांत्रिक भारत का पहला बजट था, जिसे जॉन मथाई ने पेश किया था. यह बजट कई अर्कों में महत्वपूर्ण था क्योंकि यहां से योजना आयोग की स्थापना का रोडमैप तैयार हुआ. भारत के तमाम संसाधनों का आकलन कर उनके सर्वोत्तम इस्तेमाल के बारे में पूरी नीति तैयार करने के मकसद से योजना आयोग बनाया जाना था, जिसके पहले अध्यक्ष जवाहरलाल नेहरू बने थे.
1968 – उस साल मोरारजी देसाई द्वारा पेश किए गए बजट को ‘जनता के बजट’ के रूप में काफी शोहरत मिली थी. इस बजट में पहली बार सभी उत्पादकों के लिए एक सेल्फ असेसमेंट सिस्टम बनाया गया जिसके ज़रिये उत्पादों का आकलन किया जा सकता था. इस बजट ने ही स्पाउज़ अलाउंस को खत्म किया जो पति और पत्नी दोनों ही टैक्स बचाने के लिए इस्तेमाल करते थे. हालांकि इसे इसलिए खत्म किया गया था ताकि शादी जैसी संस्था पर बेवजह कोई तनाव की स्थिति न रहे.
1991 – यह बजट भारत के लिए ऐतिहासिक रहा. डॉ. मनमोहन सिंह ने इस बेहद महत्वपूर्ण बजट को पेश करते हुए कई तरह की नई और अहम व्यवस्थाएं दी थीं. पीवी नरसिंहराव की सरकार में आए इस बजट के बाद भारत ने वैश्वीकरण की तरफ कदम बढ़ाए जब आयात लाइसेंस का सिस्टम खत्म हुआ और निर्यात को बढ़ावा मिला. उदारवादी अर्थव्यवस्था और खुले बाज़ार का दौर इसी बजट से शुरू हुआ
1997 – इस बजट को तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम का ड्रीम बजट माना गया. इस बजट की सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि इसने काले धन के के खिलाफ एक स्कीम लॉंच करके देश भर में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक माहौल बनाने की शुरूआत की. इस बजट को आर्थिक सुधारों के बजट के तौर इसलिए भी याद किया गया क्योंकि यहां से इनकम टैक्स की दरों को घटनाने के लिए कॉर्पोरेट टैक् से सरचार्ज खत्म करे जैसे कदम उठाए गए थे.
2000 – भारत का ‘मिलेनियम बजट’ तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने पेश किया था. इस बजट को भारत के लिए इसलिए बेहद अहम माना जाता है क्योंकि यहां से भारत का सॉफ्टवेयर और आईटी हब के तौर पर उभरने का सिलसिला शुरू हुआ. इस बजट को आप सॉफ्टवेयर के एक्सपोर्ट की शुरूआत होने की व्यवस्था के तौर पर याद रख सकते हैं.
2005 – ‘आम आदमी बजट’. एक बार फिर पी चिदंबरम ने ही यह एक और महत्वपूर्ण बजट पेश किया था. इस बजट में एक तरफ कॉर्पोरेट टैक्स और कस्टम ड्यूटी को काफी घटाया गया था तो दूसरी मनेरगा और आरटीआई के संबंध में प्रावधानों को लेकर इस बजट को याद किया जाता रहा. इस बजट को विश्लेषकों ने ‘असंभव को संभव’ बनाने वाला करार देकर कहा था कि कम्युनिस्टों और बाज़ार को एक साथ खुश करने का कारनामा चिदंबरम ने किया था.