अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण वॉरियर अवार्ड से सम्मानित हुयी डा. नम्रता आनंद

 अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण वॉरियर अवार्ड से सम्मानित हुयी डा. नम्रता आनंद
  • धरती को बचाने के लिए पर्यावरण संरक्षण करना बहुत जरूरी : डा. नम्रता आनंद
  • पेड़ पौधे जीवन के आधार , पर्यावरण संरक्षण बेहद जरूरी : डा. नम्रता आनंद

पटना, 07 सितंबर राष्ट्रीय-राजकीय सम्मान से अंलकृत समाजसेविका डा. नम्रता आनंद को पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में उत्कृष्ठ योगदान के लिये अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण वॉरियर अवार्ड से सम्मानित किया गया है। डा. नम्रता आनंद ने बताया कि नेपाल के लुंबनी शहर में अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण वॉरियर अवार्ड का आयोजन पिछले वर्ष 27-28 नवंबर को किया गया था। इस प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय अवार्ड के लिये डा. नम्रता आनंद का चयन किया गया था लेकिन वह इस कार्यक्रम में शिरकत नहीं कर सकी थी। डा. नम्रता आनंद को यह अवार्ड राजधानी पटना में दिया गया है।

डा. नम्रता आनंद ने यह अवार्ड अपने परिवार के सदस्य मां श्रीमती रजनी वर्मा, पिता श्री अनिल कुमार वर्मा, और दोनो पुत्री निरंतरा हर्षा और नियति सौम्या की मौजूदगी में लिया। उन्होंने बताया कि यह उनके लिये बेहद गर्व का क्षण है कि परिवार के सदस्यों की उपस्थिति में उन्हें यह प्रतिष्ठित सम्मान मिला है, यह उनके लिये दोहरी खुशी का क्ष्ण है, जिसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है।

उल्लेखनीय है कि पर्यावरण संरक्षण को लेकर डॉ. नम्रता आनंद को देश-विदेश में पर्यावरण योद्धा सम्मान मिल चुका है।मध्य विद्यालय सिपारा, पटना की शिक्षिका डॉ. नम्रता आनंद, बच्चों को पढ़ाने के साथ-साथ उनको पर्यावरण संरक्षित करने को लेकर जागृत करती हैं। डा. नम्रता आनंद ने अपनी संस्था दीदीजी फाउंडेशन के बैनर तले और ग्लोबल कायस्थ कॉन्फ्रेंस के गो ग्रीन अभियान के तहत पर्यावरण संरक्षण की दिशा में उल्लेखनीय भूमिका निभायी है।

डा. नम्रता आनंद ने बताया कि धरती को बचाने के लिए पर्यावरण संरक्षण करना बहुत जरूरी हैं। इसलिए लोगों को अपने जीवन में अधिकाधिक पौधे लगाकर पृथ्वी को और अधिक सुंदर बनाना चाहिए। पेड़ पौधे जीवन के आधार हैं। हर व्यक्ति को अपने जीवन के महत्वपूर्ण दिवसों को यादगार बनाने के लिए पौधारोपण करना चाहिए। उन्होंने कहा कि आने वाली पीढ़ियों को स्वच्छ एवं स्वस्थ वातावरण देने के लिए पौधारोपण हर हाल में करना होगा।समय रहते यदि पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान नहीं दिया, तो मानव का अस्तित्व ही संकट में पड़ जाएगा।

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