बिहार के स्कूलों में जल्द शुरू हो सकती है मैथिली भाषा की पढ़ाई, CM नीतीश कुमार ने दिए संकेत
बिहार के स्कूलों में मैथिली भाषा की पढ़ाई को लेकर बिहार सरकार जल्द ही सकारात्मक फैसला ले सकती है. बिहार विधानपरिषद में राज्यपाल के अभिभाषण पर बहस के दौरान जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जवाब देने के लिए सदन में पहुंचे तब कांग्रेसी एमएलसी प्रेमचंद्र मिश्रा ने मुख्यमंत्री के सामने अपनी मांग रखी.
प्रेमचंद मिश्रा ने कहा कि मिथिला के लोगों की लंबे समय से यह मांग रही है कि स्कूल पाठ्यक्रम में फिर से मैथिली की पढ़ाई शुरू की जाए. इसलिए उन्होंने सदन में कई बार इस मसले को उठाया भी है. कांग्रेसी एमएलसी की इस मांग पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि मैथिली उन्हें भी प्रिय भाषा लगती है. उन्होंने कहा कि सदन में शिक्षा मंत्री विजय चौधरी मौजूद हैं और ऐसे में शिक्षा विभाग कोई फैसला करता है तो वह बतौर मुख्यमंत्री उसका स्वागत करेंगे.
मैथिली भाषा की पढ़ाई
मुख्यमंत्री के इस बयान का कांग्रेस ने स्वागत किया. प्रेमचंद मिश्रा ने कहा कि सरकार का यह फैसला स्वागत योग्य है और उन्हें उम्मीद है कि अब मुख्यमंत्री के आश्वासन से उनकी सालों पुरानी मांग को अमलीजामा पहना दिया जाएगा. कांग्रेस नेता ने कहा कि इससे न केवल उन्हें, बल्कि मिथिलांचल के लोगों को भी बहुत खुशी होगी.
राज्यपाल के अभिभाषण पर वाद-विवाद पर जवाब देने के दौरान ही धान खरीद के मसले पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राजद सदस्य सुबोध राय एवं सुनील सिंह के बीच तीखी नोकझोंक हो गई. राजद के इन दोनों सदस्यों ने इसके बाद सदन का बहिष्कार कर दिया. बाद में सुबोध राय ने मुख्यमंत्री पर आरोप लगाया कि वह सदस्यों से धमकी भरी भाषा में बात करते हैं. यही नहीं सुबोध राय का यह भी आरोप था कि मुख्यमंत्री भाजपा की खीझ उनके दल के ऊपर निकालते हैं, लेकिन मुख्यमंत्री ने राजद एमएलसी सुबोध राय के इस आरोप का खंडन किया.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने जवाब में कहा कि मैं सभी सदस्यों का सम्मान करता हूं और कोई भी सदस्य मुझ पर इस तरह का आरोप नहीं लगा सकता. राजद सदस्यों के साथ नोकझोंक का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने मजाक के लहजे में उनसे कुछ बोला जिस पर राजद एमएलसी ने धमकी वाली प्रतिक्रिया दे डाली.