गर्भावस्था के दौरान एक्सरसाइज करने से नवजात रहेगा इन रोगों से दूर
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं का नियमित व्यायाम करना उनके होने वाले बच्चे के लिए बेहद फायदेमंद होगा। इससे बच्चों को जीवन में बाद में मधुमेह और अन्य चयापचय रोगों के विकास की संभावना को कम करने में मदद मिल सकती है। एक नए शोध में यह दावा किया गया है।
शोधकर्ताओं द्वारा प्रयोगशाला में चूहों पर किए गए एक अध्ययन में पाया गया है कि गर्भावस्था के दौरान व्यायाम ने एक मोटे माता-पिता से चयापचय संबंधी बीमारियों के संचरण को बच्चों तक पहुंचने से रोका। यदि शोध मानव में सही पाया जाता है, तो गर्भवती महिलाओं के साथ-साथ यह भी सुनिश्चित होगा कि उनके बच्चे स्वस्थ जीवन जीएंगे। शोधकर्ताओं का कहना है कि हमारे अध्ययन के निष्कर्ष कहते हैं कि गर्भ धारण करने के बाद एक महिला की पहली यात्रा एक व्यायाम कार्यक्रम के तौर पर शुरू करना फायदेमंद होगा।
वर्जीनिया यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिसिन के शीर्ष व्यायाम विशेषज्ञ और अध्ययन के लेखक जेन यान ने कहा कि अभी तक हम जिन पुरानी बीमारियों की बात करते हैं, उनमें से अधिकांश भ्रूण की उत्पत्ति से ही संबंधित जानी जाती हैं। उन्होंने बताया कि अध्ययन के दौरान पाया गया कि गर्भावस्था से पहले और गर्भावस्था के दौरान एक मोटापे से ग्रस्त मां के लिए नियमित एरोबिक व्यायाम बच्चे को मधुमेह की शुरुआत से बचा सकता है।
पिछले अध्ययनों का विश्लेषण करने के बाद शोधकर्ताओं ने पाया कि गर्भावस्था के दौरान व्यायाम स्वस्थ शिशुओं को जन्म देने में मदद करता है, गर्भावस्था की जटिलताओं और समय से पहले प्रसव के जोखिम को कम करता है। लेकिन अब वह यह जानना चाहते थे क्या यह लाभ बच्चों के जीवन भर जारी रहा।
कार्डियोवस्कुलर रिसर्च सेंटर के सेंटर फॉर स्केलेटल मसल रिसर्च के निदेशक रॉबर्ट एम बर्न यान और उनके सहयोगियों ने प्रयोगशाला में चूहों और उनकी संतानों का अध्ययन किया। शोधकर्ताओं ने वयस्क संतानों के चयापचय और डीएनए के रासायनिक (एपिजेनेटिक) संशोधन को देखा।
अच्छी खबर यह है कि गर्भावस्था के दौरान केवल मातृ व्यायाम या शारीरिक गतिविध ने एपिजेनेटिक परिवर्तनों के एक मेजबान को रोका, जो संतानों के जीन के कामकाज को प्रभावित करते हैं। शोधकर्ताओं ने अपने निष्कर्षों में दावा किया कि मातृ व्यायाम ने संतान पर माता या पिता के मोटापे के नकारात्मक प्रभावों को पूरी तरह से अवरुद्ध कर दिया।