राज्यों में कोरोना लॉकडाउन की वजह से चालीस लाख नौकरियों पर संकट

 राज्यों में कोरोना लॉकडाउन की वजह से चालीस लाख नौकरियों पर संकट

देश में कोरोना वैष्विक महामारी संक्रमितों में रोजाना बढ़ोतरी के मद्देनजर कई राज्यों ने लॉकडाउन को लगाया है। जिससे करीब 80 फिसदी तक दुकानें बंद हो गयी है। बाकी शेष बचे दुकानों में भी ग्राहकों की संख्या बहुत कम देखी जा रही है। ऐसी परिस्थिति में आषंका रिटेल एसोसिएशन ऑफ इंडिया द्वारा जारी की गई है कि अगर इस परिस्थिति में रिजर्व बैंक और राज्य की सरकारें मदद के लिए सामने नहीं आते है तो कोरोना लॉकडाउन के कारण लगभग चालीस लाख लोगों की नौकरियां जाने का खतरा मंडराने लगा है।
वित्तमंत्री को चिट्टी लिखकर रिटेल एसोसिएशन ऑफ इण्डिया ने कोरोना लॉकडाउन से उत्पन्न हुए परिस्थितियों से अवगत कराया। सभी तरह के कर्ज पर लगे ब्याज में छूट देने की भी अपील कारोबारियों की तरफ से की गई है। कारोबारियों ने कहा कि रिटेल व्यवसायी में मार्जिन कम होते है।
संगठन के द्वारा रिटेल कारोबारियों हेतु इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी योजना का दायरा बढ़ाने का अनुरोध किया गया है। कर्ज के मूलधन व ब्याज पर छह महीने तक के लिए मोरटोरियम देने की मांग की जा रही है। रिटेल एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने सरकार से कहा कि कारोबारियों का पूंजी का दायरा बढ़ाते हुए उन्हें रिजर्व बैंक के जरिए विषेष कर्ज आपूर्ति की जाए। यह कर्ज कारोबारियों की सीमा का करीब 30 फिसदी अधिक होनी चाहिए ताकि कोरोना काल से बनी परिस्थितियों में तन्ख्वाह कर्मचारियों को दी जा सके।
रिटेल एसोसिएशन ऑफ इंडिया के आंकलन के अनुसार लगभग ढाई करोड़ रूपये का निवेष रिटेल क्षेत्रों के अंतर्गत देष में हुआ है। रिजर्व बैंक एवं सरकार की तरफ से कोई सहायता अगर मुहैया नहीं की जाती है तो यह आषंका है कि लगभग 75 हजार करोड़ निवेष एनपीए हो सकता है। इसके साथ-साथ लगभग तीस लाख लोगों की नौकरियां संकट में पड़ जाएगी। प्रत्यक्ष एव परोक्ष रूप से इन क्षेत्रों से जुड़े लोगों को भी नौकरियां खतरे में पड़ सकती है। दस लाख तक की नौकरियां टेक्सटाइल के अंतर्गत जुड़ी हुई है।
रीटेल कारोबारी एंटरटेन्मेंट, मैन्युफैक्चरिंग एवं दूसरे बड़े उधोगों से जुड़े होते है। ऐसे में रीटेल कारोबारी पर असर पड़ने से पूरी चेन प्रभावित होती है। अगर समय रहते रीटेल कारोबारियों को सहारा नहीं दिए गए तो दूसरी जगहों से भी मंदी जैसे परिस्थितियां उत्पन्न हो सकते है। संवाददाता, ए बी बिहार न्यूज।

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