गोवर्धन पूजा पर गोवर्धन पर्वत और भगवान श्री कृष्ण की होती है पूजा : डा. नम्रता आनंद

 गोवर्धन पूजा पर गोवर्धन पर्वत और भगवान श्री कृष्ण की होती है पूजा : डा. नम्रता आनंद


पटना, 27 अक्टूबर गोवर्धन पूजा पर गोवर्धन पर्वत और भगवान श्री कृष्ण की पूजा की जाती है। प्राचीन धर्म ग्रन्थों के मुताबिक, गोवर्धन पूजा को द्वापर युग से चली आ रही है। इसके पीछे मान्यता यह है कि भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्र की पूजा की बजाय गोवर्धन की पूजा शुरू करवाई थी।महिलायें घर के आंगन में गोवर्धन बनाकर पूजा करती हैं। इस दिन गोवंश की सेवा का विशेष महत्व है। इसलिए लोग बैल, गाय सहित अपने वाहनों की भी पूजा करते हैं। गाय-बैल को इस दिन स्नान कराकर उन्हें रंग लगाया जाता है और उनके गले में नई रस्सी डाली जाती है। गाय और बैलों को गुड़ और चावल मिलाकर खिलाया जाता है।

गोवर्धन पूजा को अन्नकूट पूजा भी कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को यह पूजा करने से व्यक्ति पर भगवान श्री कृष्ण की कृपा सदैव बनी रहती है। इस दिन भगवान कृष्ण को 56 भोग के प्रसाद चढ़ाए जाते हैं। गोवर्धन पूजा के दिन घर में किसी जगह ज्यादातर आंगन में गोबर से गोवर्धन पर्वत, गायों और ग्वालों की आकृति बनाकर पूजा-अर्चना की जाती है।

साथ ही परिक्रमा कर छप्पन भोग का प्रसाद बांटा जाता है। इस दिन अन्नकूट बनाने का भी खास महत्व है, इसलिए इसे ‘अन्नकूट पूजा’ भी कहा जाता है। इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने इंद्र का अभिमान चूर कर बृजवासियों की रक्षा की थी, इसलिए इस दिन भगवान श्री कृष्ण की पूजा का भी विशेष महत्व है। गोवर्धन पूजा पर गोवर्धन पर्वत और भगवान श्री कृष्ण की पूजा की जाती है। इस दिन मंदिरों में श्रद्धालु भगवान श्री कृष्ण की पूजा करते हैं और गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करने से विशेष फल प्राप्त होता है।

लोग घरों में गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाकर जल, मौली, रोली, चावल, फूल, दही और दीप जलाकर पूजा अर्चना करते हैं। गोवर्धन पूजा के दिन गायों की पूजा भी की जाती है। फिर गायों को मिठाई खिलाकर उनकी आरती उतारकर प्रदक्षिणा की जाती है। गोबर से गोवर्धन की आकृति तैयार करने के बाद उसे फूलों से सजाया जाता है और इसकी पूजा की जाती है। पूजा में धूप, दीप, दूध नैवेद्य, जल,फल, खील, बताशे का इस्तेमाल किया जाता है। कहा जाता है कि गोवर्धन पर्व के दिन मथुरा में स्थित गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। लेकिन, लोग घरों में प्रतीकात्मक तौर पर गोवर्धन बनाकर उसकी पूजा करते हैं और उसकी परिक्रमा करते हैं।

गोवर्धन पूजा में गोधन यानी गायों की पूजा की जाती है। शास्त्रों में बताया गया है कि गाय उसी प्रकार पवित्र होती जैसे नदियों में गंगा। गाय को देवी लक्ष्मी का स्वरूप भी कहा गया है। देवी लक्ष्मी जिस प्रकार सुख-समृद्धि प्रदान करती हैं, उसी प्रकार गौ माता भी अपने दूध से स्वास्थ्य रूपी धन प्रदान करती हैं। गोवर्धन पूजा के दौरान विभिन्न तरह के पकवान बनाए जाते हैं। लोग घरों में गोवर्धन पूजा के दिन पूजा-अर्चना के बाद अन्नकूट का प्रसाद ग्रहण करते हैं।

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