बिहार में पराली जलाने वाले 88 किसानों के सरकारी सुविधाओं पर लगी रोक,सरकार सैटेलाइट से कर रही है निगरानी
बिहार में फसल अवशेष यानी पराली को खेतों में जलाए जाने के मामले में सरकार पूरी तरह से सख्त है। सरकार की मंशा है कि फसल अवशेष को खेत में ही प्रबंधन किया जाए। राज्य में पराली जलाने की घटना पर रोक लगाने के लिए सरकार सैटेलाइट से निगरानी कर रही है। पराली जलाने के मामले में जिले के विभिन्न प्रखंडों के कुल 88 कृषकों की पहचान की गई है।
जिला कृषि पदाधिकारी मनोज कुमार ने बताया कि पराली जलाने के मामले में चिन्हित किये गये किसानों का रजिस्ट्रेशन आईडी को ब्लॉक कर दिया गया है। इसके अलावा, इन किसानों और इनके परिवार के किसी भी सदस्यों को सरकार की ओर से कृषि संबंधित संचालित किसी भी तरह की योजनाओं का लाभ तीन वर्षों तक नहीं मिलेगा। अब भी किसान खेतों में पराली जलाने से बाज नहीं आएंगे तो खिलाफ संबंधित थाने में एफआईआर (FIR) दर्ज कराई जाएगी।
आपको बता दें जिला कृषि पदाधिकारी ने कहा कि पराली जलाने का दुष्परिणाम काफी भयावह है। पराली जलाने से पहले तो मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम हो जाती है। मिट्टी में पाये जाने वाले मित्र कीट नष्ट हो जाते हैं, जिसका असर उत्पादन पर पड़ता है। वहीं पराली जलान से निकलने वाला धुआं, कार्बन डायअक्साइड से पर्यावरण दूषित होता है। इसका सीधा असर मानव जीवन के स्वास्थ्य पर पड़ता है। इतने सारे नुकसान होने के बावजूद पराली जलाना एक बड़ा अपराध है, इससे हर किसान को बचना चाहिए। किसानों को अनुदान पर वैसे कृषि यंत्र मिल रहे हैं। जिससे पराली का प्रबंधन किया जा सकता है।