भारत सरकार आवंटन के अनुरूप बिहार को समय पर नहीं करा रही उर्वरकों की आपूत्र्ति
माननीय मंत्री, कृषि विभाग, बिहार श्री कुमार सर्वजीत द्वारा आज विकास भवन, नया सचिवालय, पटना अवस्थित अपने कार्यालय कक्ष में बिहार में विभिन्न उर्वरकों की स्थिति पर एक प्रेस काॅफ्रेंस को सम्बोधित किया गया। माननीय मंत्री ने अपने सम्बोधन में कहा कि वर्ष 2022-23 में रबी मौसम में माह अक्टूबर से दिसम्बर तक के कुल आवश्यकता के आलोक में 19 दिसम्बर तक यूरिया 63 प्रतिशत, डी0ए0पी0 84 प्रतिशत एवं एम0ओ0पी0 55 प्रतिशत की आपूर्ति की गई है।
वर्ष 2022-23 में बिहार में खरीफ मौसम में उर्वरकों की कुल आवश्यकता के आलोक में भारत सरकार द्वारा यूरिया 94 प्रतिशत, डी0ए0पी0 75 प्रतिशत एवं एम0ओ0पी0 59 प्रतिशत की आपूर्ति की गई थी। उन्होंने कहा कि जब फसलों के लिए यूरिया एवं डी॰ए॰पी॰ की जरूरत पड़ती है, तब आवंटन रहने के बावजूद भारत सरकार द्वारा बिहार को जरूरत के अनुसार यूरिया एवं डी॰ए॰पी॰ उपलब्ध नहीं कराया जाता है।
उन्होंने आगे बताया कि रबी 2022-23 में राज्य को आयातित यूरिया भी आवंटित किया गया है। माह अक्टूबर में कुल आवंटन का 5 प्रतिशत, माह नवम्बर में कुल आवंटन का 35 प्रतिशत एवं माह दिसम्बर में 19 तारीख तक 52 प्रतिशत ही आपूर्ति की गई है। इससे स्पष्ट है कि रबी 2022-23 में आवंटन के आलोक में आयातित यूरिया की उपलब्धता मात्र 35 प्रतिशत ही की गई है, जिसके कारण रबी मौसम में यूरिया की उपलब्धता काफी कम रही।
उन्होंने कहा कि रबी 2021-22 में नवम्बर माह में जब डी0ए0पी0 की आवश्यकता अत्यधिक रहती है, तब भारत सरकार द्वारा इसके आवंटन के आलोक में मात्र 36 प्रतिशत की ही आपूर्ति की गई, जिसके कारण रबी फसलों की बुआई के समय डी0ए0पी0 की उपलब्धता काफी कम थी। दिसम्बर माह में डी0ए0पी0 की उपलब्धता हुई, परंतु यूरिया की उपलब्धता आवंटन के आलोक में मात्र 66 प्रतिशत ही रहा, जिसके फलस्वरूप राज्य के कई जिलों में विधि व्यवस्था की समस्या उत्पन्न हुई।
ज्ञातव्य है कि रबी 2019-20 एवं 2020-21 में उर्वरक की उपलब्धता रबी 2021-22 की तुलना में बेहतर थी, जिसके कारण उन वर्षों में राज्य मेे उर्वरक की उपलब्धता को लेकर अधिक समस्या उत्पन्न नहीं हुई थी।
उन्होंने कहा कि ससमय यूरिया की आपूर्ति नहीं होने के कारण कई जिलों में यूरिया की उपलब्धता आवश्यकता से काफी कम है। खरीफ मौसम के अंतिम दिनों में अच्छी वर्षा होने के कारण खेतों में पर्याप्त नमी रहने से रबी 2022-23 में गत वर्ष से आच्छादन अधिक होना संभावित है। ऐसी स्थिति में यूरिया की माँग भी अधिक होगी।
वर्तमान में, किसानों के द्वारा गेहूँ के पटवन का कार्य किया जा रहा है। प्रथम पटवन के तुरंत बाद किसानो के द्वारा यूरिया का प्रथम उपरिवेशन किया जाता है। गेहूँ फसल के इस अवस्था में यूरिया का उपरिवेशन नितांत आवश्यक है, अन्यथा फसल का बढ़वार प्रभावित होता है एवं उत्पादकता पर प्रतिकूल असर पड़ता है। यूरिया की माँग अपने चरम पर है। यूरिया की उपलब्धता नहीं होने पर गत वर्ष की तरह इस बार भी विधि व्यवस्था की समस्या उत्पन्न हो सकती है, जो राज्य हित में नहीं है।
श्री कुमार ने कहा कि किसानों को ससमय निर्धारित मूल्य पर उर्वरक की उपलब्धता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से राज्य में जीरो टाॅलरेंस की नीति अपनाया गया है।
इसके तहत सभी जिला कृषि पदाधिकारी नियमित रूप से उर्वरक प्रतिष्ठान का निरीक्षण एवं सघन छापामारी कर रहे हैं। किसी भी स्तर पर अनियमितता प्रतिवेदित होने पर कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने कहा कि खरीफ 2022 में कुल 8,633 उर्वरक प्रतिष्ठानों पर छापामारी की गई है, जिसमें से 120 उर्वरक प्रतिष्ठानों के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज किया गया है एवं 381 उर्वरक प्रतिष्ठान की अनुज्ञप्ति रद्द की गई है। उन्होंने कहा कि रबी, वर्ष 2022-23 में 19 दिसम्बर तक कुल 2,073 उर्वरक प्रतिष्ठानों पर छापामारी की गई है, जिसमें से 46 उर्वरक प्रतिष्ठानों के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज किया गया है एवं 29 उर्वरक प्रतिष्ठानों की अनुज्ञप्ति रद्द की गई है।
उन्होंने कहा कि राज्य में उर्वरक की ससमय उपलब्धता को देखते हुए मेरे द्वारा माननीय केन्द्रीय मंत्री, रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय, भारत सरकार से मिलने का समय माँगा गया है।