शिक्षक-कर्मचारियों के असहमति की आवाज दबाने वाला दमनकारी फरमान वापस ले सरकार : AISA
दरभंगा: 4 दिसंबर सोमवार को आइसा जिला कमेटी के बैनर तले शिक्षक कर्मचारियों के स्वायत्तता का हनन करने एवं विद्यालय शिक्षक के पारंपरिक त्यौहार की छुट्टियां समाप्त करने व मानसिक तनाव डालने के खिलाफ राजव्यापी प्रतिवाद मार्च निकाला गया। प्रतिवाद मार्च एलएनएमयू केमपश में निकाला गया पहुंच सभा में तब्दील हो गया। जिसका अध्यक्षता आइसा जिला अध्यक्ष शम्स तबरेज तथा संचालन जिला उपाध्यक्ष मिथीलेश यादव ने किया।
आगे आइसा नेताओं ने कहा कि बिहार के स्कूल/ कॉलेजों में छात्रों की उपस्थिति और शिक्षकों की संख्या बढ़ी है तथा आगे भी शिक्षकों की बहाली प्रक्रिया चल रही है। ये सरकार की सकारात्मक पहलू है।लेकिन इस व्यवस्था में कुछ सहमति – सहमति को व्यक्त करने का शिक्षक – कर्मचारियों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है। लेकिन शिक्षा विभाग इन शिक्षक – कर्मचारियों के अभिव्यक्तियों का दमन करने पर उतारू है। जो लोकतांत्रिक मूल्यों पर सवाल खड़ा करता है जिसे आइसा कतई बर्दाश्त नहीं करेगी। वहीं पे आइसा के जीला सचिव ने कहा की विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और कर्मचारियों व सेवानिवृत शिक्षकों और कर्मचारियों को चुप रहने के लिए कहा जा रहा है।
आपको बता दें उनके संघ को भी नकारा जा रहा है जबकि विवि के सीनेट में शिक्षक और कर्मचारियों का प्रतिनिधि शामिल होते हैं और अपनी समस्याओं को रखते हैं। जो अलोकतांत्रिक है इसे वापस ले शिक्षा विभाग कहा कि अगर सरकार शिक्षकों को उनके जनतांत्रिक अधिकारों से वंचित करने का रास्ता नहीं छोड़ती है और छात्र-छात्राओं के लिए स्कूलों में सभी मूलभुत सुविधाए उपलब्ध नहीं करती हैं और केवल शिक्षक – कर्मचारियों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर रोक लगाती है और छुट्टियों के नाम पर तानाशाही रुख अपनाई रही तो इसके खिलाफ आइसा चरणबद्ध आंदोलन चलाएगी। आक्रोश मार्च में सामिल सदस्य सुभाष पासवान, जयनारायण यादव, दीपक कुमार, राजा राम, संदीप कुमार, सबा रौशनी, बिवेक कुमार, अभिनाश कुमार आदि लोग सामिल थे।