देश में खून की कमी से ग्रस्त बच्चों की संख्या में भारी इजाफा, 58.6% बच्चे एनीमिक

 देश में खून की कमी से ग्रस्त बच्चों की संख्या में भारी इजाफा,  58.6% बच्चे एनीमिक

देश में खून की कमी से ग्रस्त बच्चों की संख्या में भारी वृद्धि दर्ज की गई है। साल 2015-16 में जहां 6-59 महीने की उम्र के 58.6% बच्चे एनीमिक थे, वहीं साल 2019-21 के दरम्यान यह प्रतिशत बढ़कर 67.1% पहुंच गया है। इसके अलावा बड़े राज्यों की बात करें तो सबसे समृद्ध राज्य गुजरात में एनीमिक बच्चे सबसे अधिक करीब 80% दर्ज किए गए हैं। सर्वाधिक शिक्षित राज्य केरल में सबसे कम 39% बच्चे एनीमिक पाए गए हैं। 

आपको बता दें कि नेशनल फैमिली हैल्थ सर्वे (NHFS)-5 के ताजा आंकड़े सबको हैरान करने वाले हैं। स्वास्थ्य के मोर्चे पर देश ने जहां कई क्षेत्रों में प्रगति की है, वही बच्चों में खून की कमी कुपोषण की समस्या बढ़ने का ठोस संकेत है। विशेषज्ञों का कहना है कि मां और शिशु को भरपूर पोषक आहार नहीं मिलना इस समस्या का प्रमुख कारण है। ऐसे में 9% की बढ़ोत्तरी यह बताती है कि हालात पहले से बदतर हो रहे हैं।

NHFS-5 रिपोर्ट के मुताबिक 2019-21 के दौरान शहरों में 64.2 और गांवों में 68.3% बच्चे खून की कमी से ग्रस्त थे। यानी उनके रक्त में हिमोग्लोबिन की मात्रा 11 ग्राम/प्रति डेसीलीटर से कम पाई गई। गांव शहर को मिलाकर यह प्रतिशत 67.1 फीसदी हो गया है। इससे पहले 2015-16 में NHFS-4 हुआ था। तब शहरों में 56, गांवों में 59.5 व कुल 58.6% बच्चे खून की कमी से ग्रस्त थे। इस प्रकार 5 सालों के भीतर एनीमिक बच्चों का प्रतिशत तकरीबन 9% बढ़ा है। यह अत्यधिक चिंताजनक है। बच्चों से लेकर वयस्कों में खानपान की शैली बिगड़ी है जिससे कुपोषण बढ़ रहा है। खून की कमी से ग्रस्त बच्चों की संख्या बढ़ना इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है।

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