|| मुझको साईं का सहारा मिल गया ||
किश्ती को किनारा मिल गया |
मुझको साईं का सहारा मिल गया ||(1)
क्यों करूँ चिंता भला संसार की |
उनकी रहमत का इशारा मिल गया ||(2)
ढूंढ़ता फिरता था जिनको दर – बदर |
अपने दिल में ही वो प्यारा मिल गया ||(3)
व्यर्थ होती जा रही थी ज़िन्दगी |
मेरी किस्मत को सितारा मिल गया ||(4)
गम व उलझन से कभी फुर्सत न थी |
बदला – बदला अब नज़ारा मिल गया ||(5)
उनको तो मैं जानता भी था नहीं |
बिन यतन ही प्रभु हमारा मिल गया ||(6)
अब सिमरता हूँ, भजन गता हूँमैं|
मुझको सुख – आनंद सारा मिल गया ||(7)
संवाददाता “नीता सिंह “