इस रफ्तार से वैक्सीन लगती रही तो दुनिया से कब खत्म होगा कोरोना?
इस साल, 2022 या 2027? आखिर कोरोना वायरस (Corona Virus) का प्रकोप कब खत्म होगा? सभी के मुंह पर यह सवाल ही नहीं, बल्कि सबके पास एक तारीख, कम से कम एक साल या कोई महीना तो है ही. लेकिन अनुमान का आधार क्या है? यह ठीक है कि भारत सहित कुछ देशों में वैक्सीन कार्यक्रम (Vaccination Drive) शुरू हो चुका है, लेकिन खबरें पहुंच चुकी हैं कि वैक्सीन के दो शॉट चार हफ्तों के गैप में लगते हैं. करोड़ों को दो शॉट्स देने में वक्त इसलिए भी लगेगा क्योंकि वैक्सीन का उत्पादन (Vaccine Production) भी फैक्टर है. ऐसे में दुनिया से कब तक कोरोना खत्म होगा, इसका जवाब वैक्सीन कैलकुलेटर के हिसाब से क्या है?
अमेरिका के एंथनी फॉकी जैसे विज्ञान विशेषज्ञ कह चुके हैं कि 70 से 85 फीसदी आबादी को जब तक टीका नहीं लग जाएगा, तब तक पूरी तरह से महामारी का प्रकोप खत्म नहीं माना जा सकता. दूसरी तरफ, दुनिया भर में वैक्सीन जिस तरह दी जा रही है, उससे जुड़े डेटा का सबसे बड़ा सेंटर एक मीडिया हाउस ने तैयार किया है. इसके हिसाब से क्या आंकड़े हैं और उनके हिसाब से क्या अनुमान लगते हैं?
कैसे हो रहा है वैक्सीनेशन?
ये खबरें पहुंच चुकी हैं कि इज़रायल सबसे तेज़ी से टीके लगा रहा है. सिर्फ दो महीने में यहां 75% आबादी को टीके लगने के दावे किए जा रहे हैं. लेकिन दूसरी तरफ, अमेरिका और फ्रांस जैसे बड़े देश हैं, जहां वैक्सीन कार्यक्रम तकरीबन ठप हो गया है. सप्लाई चेन, उत्पादन और भ्रष्टाचार में वैक्सीन उलझकर रह गई है. यहां वैक्सीन लगने की रफ्तार बहुत धीमी है. तीसरा पहलू, भारत जैसे बड़े आबादी वाले देशों का है, जहां एक अरब से ज़्यादा लोगों को वैक्सीन पहुंचाना लक्ष्य है.
इन तमाम हालात को ध्यान में रखते हुए डेटाबेस के आंकड़ों से दुनिया भर का एक औसत तैयार किया जा रहा है कि लोगों तक वैक्सीन किस रफ्तार से पहुंच रही है. इसके हिसाब से तैयार किए जा रहे विश्लेषण के हिसाब से यह भी देखा जा रहा है कि 75% आबादी को कब तक वैक्सीन मिल सकेगी.
क्यों और कैसे घट रही है टीकाकरण की गति?
उदाहरण से समझें तो न्यूयॉर्क में सर्दियों के कारण चूंकि कई लोगों को वैक्सीन नहीं दी जा पा रही इसलिए अब लक्ष्य को बढ़ाकर कहा गया है कि यहां 17 महीनों में टीकाकरण पूरा होगा. इसी तरह, कनाडा में टीकाकरण की रफ्तार की दर इसलिए कम हो गई क्योंकि यहां वैक्सीन की खेप पहुंचने में देर हो रही है. अब अगर कनाडा में टीकाकरण की रफ्तार को आदर्श मान लिया जाए तो 75% आबादी को टीका लगने में 10 साल लग जाएंगे!
सिर्फ कनाडा ही नहीं, सभी के लिए यह चेताने वाला आंकड़ा है. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट की मानें तो अब तक कई देश 100 से ज़्यादा एग्रीमेंटों के साथ 8.5 अरब वैक्सीन डोज़ की बुकिंग कर चुक हैं, जबकि दुनिया के सिर्फ एक तिहाई देशों में ही टीकाकरण शुरू हुआ है.
कब तक पूरा होगा टीकाकरण?
अवव्ल तो एक फैक्ट यह है कि डेटाबेस में जिन देशों के टीकाकरण पर निगरानी है, उनमें से भी 20 फीसदी देशों से भी टीका लगाए जाने की दर को लेकर आंकड़े लगातार या सटीक नहीं मिल रहे हैं. वहीं, अभी जो वैक्सीनें उपलब्ध हैं, उनके दो डोज़ देने के बाद ही महामारी के खिलाफ असर पैदा होता है. इन तमाम फैक्टरों को ध्यान में रखते हुए ब्लूमबर्ग के डेटाबेस ने एक विश्लेषण तैयार किया है.
इस रफ्तार से अगर टीकाकरण चलता रहा तो पूरी दुनिया को वैक्सीन मिलने में 7 साल लग जाएंगे. इसका मतलब है कि 7 सालों में करीब 75% आबादी को वैक्सीन मिल चुकी होगी, तो एक ग्लोबल हर्ड इम्यूनिटी विकसित हो जाएगी और कोविड 19 का खात्मा हो जाएगा. लेकिन यहां एक सवाल और है
हर्ड इम्यूनिटी पर है विवाद!
विज्ञान के विशेषज्ञ भी अब तक हर्ड इम्यूनिटी को लेकर एकराय नहीं हैं. क्या 75% का आंकड़ा ही हर्ड इम्यूनिटी तय करता है? कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि इससे कम आबादी के शरीर में भी प्रतिरोध पैदा हो जाए तो भी बात बन सकती है, लेकिन कुछ का कहना है कि यह आंकड़ा तो पाना ही होता है. दूसरे, अभी वैक्सीन के लॉंग टर्म असर को लेकर भी स्थितियां स्पष्ट नहीं हैं. बहरहाल, अगर इस आंकड़े को एक लक्ष्य मान लिया जाए तो मौजूदा रफ्तार से अभी हम लक्ष्य से छह साल पीछे हैं.