IPL गवर्निंग मीटिंग में बड़ा फैसला, चीनी कंपनी के साथ नहीं तोड़ा जाएगा करार
चीनी मोबाइल कंपनी आईपीएल (IPL) टाइटल की मुख्य प्रायोजक है और इससे बीसीसीआई (BCCI) को हर साल 400 करोड़ रुपये मिलते हैं.
इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) की गवर्निंग काउंसिल की मीटिंग में रविवार को आईपीएल के आयोजन के साथ ही चीनी कंपनी के साथ करार को लेकर बड़ा फैसला लिया गया है. आईपीएल के 13वें सीजन का आयोजन 19 सितंबर से 10 नवंबर के बीच यूएई में होगा. बीसीसीआई को भारत सरकार की मंजूरी भी मिल गई है.
हालांकि मीटिंग से पहले माना जा रहा था कि इस मीटिंग में बीसीसीआई (BCCI) आईपीएल की मुख्य प्रायोजक चीनी कंपनी वीवो को झटका दे सकती है, मगर ऐसा नहीं हुआ. बीसीसीआई ने चीनी कंपनी के साथ करार बरकरार रखने का फैसला लिया है. वीवो टाइटल प्रायोजक है जबकि पेटीएम, ड्रीम 11, बाईजूस और स्विगी में चीनी निवेश है. भारत और चीन के बीच मौजूदा तनाव को देखते हुए यह मुद्दा 10 सूत्री एजेंडे में सबसे अहम था. बीसीसीआई को एक साल में इससे 440 करोड़ रुपये मिलते हैं.
क्रिकेट प्रॉपर्टी पर देते हैं बड़ा विज्ञापन
कुछ समय पहले एक बीसीसीआई अधिकारी ने कहा था कि इस मुश्किल समय में कौन वीवो को रिप्लेस करेगा. कौन बीसीसीआई को उसी के बराबर 400 करोड़ रुपये देगा. इस मार्केट में, कोई भी इतना पैसा नहीं दे सकता. बीसीसीआई अधिकारी ने था कहा कि सभी को यह समझना चाहिए कि चीनी कंपनी वीवो के साथ करार खत्म नहीं हो सकता. उन्होंने कहा कि इसे कैसे तोड़ सकते हैं. चीनी ब्रांड टेलीविजन पर और क्रिकेट प्रॉपर्टी पर बड़ा विज्ञापन देते हैं. कैसे इसे रोका जा सकता है.
चीनी कंपनियों से भारत को फायदा
लद्दाख में सीमा पर गलवान में दोनों देशों के बीच सैन्य तनाव के बाद चीन विरोधी माहौल गर्म है. चार दशक से ज्यादा समय में पहली बार भारत चीन सीमा (India-China) पर हुई हिंसा में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए. उसके बाद से चीनी उत्पादों के बहिष्कार की मांग की जा रही थी.
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कुछ दिन पहले बीसीसीआई के कोषाध्यक्ष अरुण धूमल ने कहा था कि आईपीएल जैसे भारतीय टूर्नामेंटों के चीनी कंपनियों द्वारा प्रायोजन से देश को ही फायदा हो रहा है. बीसीसीआई को वीवो से सालाना 440 करोड़ रुपये मिलते हैं जिसके साथ पांच साल का करार 2022 में खत्म होगा.