इस साल के अंत तक लांच कर सकता है ISRO अपना सोलर मिशन
कोविड -19 महामारी के चलते आदित्य L-1 मिशन के शुरू होने में देरी के बाद भारत इस साल के अंत में अपने पहले सोलर मिशन का प्रयास कर सकता है। राष्ट्रीय मिशन एजेंसी में लोगों ने ये जानकारी दी है।
स्पेस रिसर्च सेंटर इसरो द्वारा लॉन्च होने जा रहे इस मिशन में सूर्य के वायुमंडल का अध्ययन करने के लिए पृथ्वी से 1.5 मिलियन किलोमीटर की दूरी पर उपग्रह भेजे जाएंगे। उपग्रह को पृथ्वी और सूर्य के बीच L1 या Lagrangian बिंदु पर भेजा जाएगा। यहां उपग्रह पर दोनों ओर से मिलने वाला मैग्नेटिक खिंचाव उपग्रह को कक्षा में रखने के लिए आवश्यक सेंट्रिपेटल बल के बराबर है।
ये बिंदु अंतरिक्ष में पार्किंग स्पॉट की तरह हैं जहां से से उपग्रह बहुत अधिक ईंधन जलाए बिना अवलोकन कर सकते हैं। पृथ्वी और सूर्य के बीच इस बिंदु से सौर सतह का साफ व्यू मिलता है।
मिशन छह वैज्ञानिक पेलोड ले जाएगा जो सूर्य की उस सतह का अध्ययन करेगा जिसे फोटोस्फियर कहा जाता है। इसके ऊपर अनियमित परत है जिसे क्रोमोस्फीयर कहा जाता है, और फिर कोरोना नामक प्लाज्मा की परत, जो हजारों किलोमीटर तक फैली हुई है। इससे जुड़े लोगों ने बताया कि ये मिशन लॉन्च के लिए लगभग तैयार है। बता दें यह उन दो बड़े मिशनों में से एक होगा जिन्हें राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी इस साल करने की योजना बना रही है। सोलर मिशन के अलावा दूसरा मानवरहित गगनयान मिशन है जिसे दिसंबर 2021 में लॉन्च किया जाना है।
पहले गगनयान मिशन के लिए चुने गए चार भारतीय वायु सेना के पायलटों की सामान्य अंतरिक्ष ट्रेनिंग- बर्फ, पानी और स्टेपी में जीवित रहने का प्रशिक्षण, पैराबोलिक उड़ानें और ऑर्बिटल मेकेनिक्स पर सैद्धांतिक कक्षाएं गागरिन कॉस्मोनॉट प्रशिक्षण केंद्र में पूरी होने वाली हैं।