जानिए कोरोना का नया स्ट्रेन कितना खतरनाक है बच्चों के लिए
देश भर में कोरोना वायरस (Corona Virus) के संक्रमण की दूसरी लहर (Second Wave) बहुत ही ज्यादा खतरनाक है. इस म्यूटेंट वायरस का नया स्ट्रेंट बहुत ज्यादा तेजी से तो फैल ही रहा है, बल्कि लक्षण तो अलग दिखा ही रहा है. इसके अलावा इस बार के स्ट्रेन के संक्रमण ने एक नई चिंता भी पैदा कर दी है. वह है- बच्चों (Children) का संक्रमण. पहले देखा गया था बच्चों को यह वायरस प्रभावित नहीं करता है, लेकिन अब बच्चों के संक्रमण भी सामने आने लगे हैं.
बच्चों के लिए भी खतरा हैं नए वेरिएंट
कोरोना वायरस के नए वेरिएंट में B.1.1.7 और खास तौर पर भारत के B.1..617 वेरिएंट बच्चों के लिए बहुत खतरनाक माने जा रहे हैं. भारत और दुनिया में जहां भी स्कूल खुले हैं वहां से बच्चों के संक्रमित होने की खबरें आ रही हैं जिससे स्कूलों को फिर से बंद करने की नौबत आ गई है.
बच्चों पर वायरस का होता है अलग असर
बच्चों में संक्रमण का जोखिम कम है, उनमें संक्रमण को बढ़ावा देने वाले रोग नहीं के बराबर होते हैं. ऐसे में उनमें संक्रमण से खतरा कम होता है और संक्रमित होने के बाद भी वे जल्दी ठीक हो जाते हैं. लेकिन हाल ही में बच्चों में संक्रमण के लक्षणों का स्पष्टता से दिखाई देना चिंता में डाल रहा है.
माता पिता की आशंकाएं
ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या बच्चों कोविड संक्रमण गंभीर अवस्था में पहुंच सकता है. सोशल मीडिया पर माता पिता अपनी चिंताएं और आशंकाएं जता रहे हैं. मुंबई के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ विपुल अग्रवाल ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि वायरस जैसे जैसे संक्रमण करने में स्मार्ट होता जा रहा है वैसे ही वह बच्चों के लिए भी खतरा बनता जा रहा है. यही वजह है कि भारत में 16 साल से कम उम्र के बच्चों में भी संक्रमण के लक्षण दिखाई देने लगे हैं.
कैसे बदल रहा है वायरस
दरअसल वायरस जब वायरस अपना जेनेटिक कोड बदलता है, तब वह इंसान की प्रतिरोधक क्षमता और एंटीबॉडीज से बचते हुए हमला करने के रास्ते भी खोज लेता है. इसके साथ ही वह और ज्यादा आक्रामक हो जाता है और ज्यादा तेजी से संक्रमण फैलाने में सक्षम हो जाता है. यही वजह है कि अभी ना केवल संक्रमणों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, बच्चे भी इसकी चपेट में आने लगे हैं.
उम्र का अंतर नहीं देखता वायरस
कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन उम्र का अंतर नहीं देख रहे हैं. 1 साल से लेकर 16 साल के बच्चे तो संक्रमित हो ही रहे हैं. नवजात शिशु भी अपनी संक्रमित मां के संक्रमण लेकर पैदा हो रहे हैं. ऐसे में गंभीर बीमारियों से पीड़ित बच्चों को ज्यादा खतरा है. वहीं बच्चे संक्रमण फैलाएंगे इसकी भी आशंका ज्यादा हो गई है. बच्चों की देखभाल करने वाले माता-पिता से लेकर घर के बुजुर्गों पर संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है.
बच्चों पर कितना असर
विशेषज्ञों का कहना है कि फिलहाल यह स्पष्ट तौर पर नहीं कहा जा सकता है कि बच्चे व्यस्कों की तरह संक्रमण फैलाते हैं या नहीं फिर भी वे पूरी एतिहात बरतने की सलाह देते हैं. ज्यादातर बच्चों में कोविड-19 के बहुत कम लक्षण ही देखने को मिलते हैं. अगर उनमें वायरल लोड ज्यादा भी हो तो उनके लक्षण कम दिखाई देते हैं. कुछ बच्चों में पेट में विकार, शरीर में दर्द, जैसे लक्षण दिखाई देते हैं, लेकिन यह कम होता है.
इन हालातों में सबसे अच्छा तो यही होगा कि जैसे ही बच्चों में कोरोना संक्रमण के हल्के लक्षण भी दिखते हैं, सावधानी अपनाने में कोताही नहीं बरतनी चाहिए. बच्चों को मास्क पहनने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए. उनका ऊंचा मनोबल बनाए रखा जाए और उन्हें सावधानी और डर में अंतर भी बताते रहना चाहिए.