होलिका दहन का शुभ मुहूर्त जानें, भद्राकाल में होलिका दहन क्यों नहीं करनी चाहिए

 होलिका दहन का शुभ मुहूर्त जानें, भद्राकाल में होलिका दहन क्यों नहीं करनी चाहिए

होली का पर्व फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से आरंभ हो जाता है। हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक होली दो दिनों का पर्व होता है। पूर्णिमा तिथि के दिन प्रदोष काल में होलिका पूजा और दहन किया जाता है। इसके अगले दिन रंगों वाली होली खेली जाती है। इस साल होली के दिन कई शुभ संयोग बन रहे हैं। होली के दिन धुव्र योग बनने से इसका महत्व और बढ़ रहा है। कन्या राशि में चंद्रमा का गोचर और मकर राशि में पहले से ही शनि व गुरु विराजमान होंगे। जबकि शुक्र ग्रह और सूर्य मीन राशि में रहेंगे।

Holika Dahan 2020- Mythology and Significance - AstroTalk.com

भद्राकाल को ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अशुभ बताया गया है। पुराणाों में भद्रा को सूर्य की पुत्री और शनिदेव की बहन बताया गया है। भद्रा काल को पंचांग के अनुसार से शुभ नहीं माना गया है।

होलिका दहन 2021 शुभ मुहूर्त-

 हिंदू पंचांग के मुताबिक होलिका दहन 28 मार्च (रविवार) को होगा। होलिका दहन का शुभ मुहूर्त शाम 06 बजकर 37  मिनट से रात 08 बजकर 56 मिनट तक है। जबकि 29 मार्च दिन सोमवार को देशभर में रंग वाली होली खेली जाएगी। लोग एक-दूसरे को अबीर-गुलाल लगाकार होली की बधाई देते हैं।

Holi 2021 date time holika dahan muhurat when is holi in 2021 holi kab hai  holashtak date - When is holi in 2021, know all the necessary details from  Holashtak to Holika Dahan » Rojgar Samachar | Govt Jobs News, University  Exam Results, Time Table ...

होलिका दहन के दिन बन रहे ये शुभ मुहूर्त-

अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12 बजकर 07 मिनट से दोपहर 12 बजकर 56 मिनट तक।
अमृत काल – सुबह 11 बजकर 04 मिनट से दोपहर 12 बजकर 31 मिनट तक।
ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04 बजकर 50 मिनट से सुबह 05 बजकर 38 मिनट तक।
सर्वार्थसिद्धि योग -सुबह 06 बजकर 26 मिनट से शाम 05 बजकर 36 मिनट तक। इसके बाद शाम 05 बजकर 36 मिनट से 29 मार्च की सुबह 06 बजकर 25 मिनट तक।
अमृतसिद्धि योग – सुबह 05 बजकर 36 मिनट से 29 मार्च की सुबह 06 बजकर 25 मिनट तक।

होलिका दहन कथा-

Holi/ Holika Dahan will be celebrated in 3 Raj Yogas, a sign of prosperity  and progress in the position of planetary constellations – The State

प्राचीन काल में हिरण्यकश्यपु नाम का एक असुर था। उसने कठिन तपस्या कर भगवान ब्रह्मा को प्रसन्न कर वरदान प्राप्त कर लिया। वह किसी मनुष्य द्वारा नहीं मारा जा सकेगा, न पशु, न दिन- रात में, न घर के अंदर न बाहर, न किसी अस्त्र और न किसी शस्त्र के प्रहार से मरेगा। इस वरदान के कारण वह अहंकारी बन गया था, वह खुद को भगवान समझने लगा था। वह चाहता था कि सब उसकी पूजा करें। उसने अपने राज्य में भगवान विष्णु की पूजा पर पाबंदी लगा दी थी। हिरण्यकश्यपु का पुत्र प्रह्राद विष्णु जी का परम उपासक था।हिरण्यकश्यपु अपने बेटे के द्वारा भगवान विष्णु की आराधना करने पर बेहद नाराज रहता था, ऐसे में उसने उसे मारने का फैसला लिया। हिरण्यकश्यपु ने अपनी बहन होलिका से कहा कि वह अपनी गोद में प्रह्लाद को लेकर प्रज्जवलित आग में बैठ जाएं, क्योंकि होलिका को वरदान था कि वह अग्नि से नहीं जलेगी। जब होलिका ने ऐसा किया तो प्रह्लाद को कुछ नहीं हुआ और होलिका जलकर राख हो गई।

संबंधित खबर -