सहरसा सहित कोसी और सीमांचल बनेगा सिल्क उत्पादन का हब, जीविका दीदी करेंगी ककून उत्पादन
बिहार के सहरसा जिले की महिलाएं ककून उपजाकर आमदनी का नया जरिया इजाद करेगी। इसमें उनका सहारा जीविका, मनरेगा और उद्योग विभाग बनेगा। ककून से धागा तैयार करने के लिए सिल्क सिटी भागलपुर भेजा जाएगा। धागा से सिल्क की साड़ी, सलवार सूट, दुपट्टा, शॉल जैसे कपड़े बनाए जाएंगे।
ककून उत्पादन के लिए मलवरी की खेती करने को किसानी से जुड़ी 918 जीविका दीदियों का चयन कर लिया गया है। हालांकि जीविका समूह से जुड़ी सहरसा सहित कोसी और सीमांचल के सात जिले की आठ हजार महिला किसानों को इस कार्य से जोड़कर समृद्ध बनाने की योजना है।
जीविका के जिला परियोजना प्रबंधक अमित कुमार ने कहा कि चयनित जीविका समूह से जुड़ी 918 महिला किसान इसी साल के मार्च महीने से मलवरी उपजाने का काम शुरू कर देगी। सहरसा के जिले की कुल एक हजार जीविका महिला किसान मलवरी की खेती करेगी। सहरसा, मधेपुरा, सुपौल, पूर्णिया, कटिहार, अररिया और किशनगंज जिले की जीविका से जुड़ी कुल आठ हजार महिला किसान मलवरी की खेती कर ककून उपजाने का काम करेगी। खेतों में लगाने के लिए मलवरी के पौधे उन्हें उद्योग विभाग उपलब्ध कराएगा।
उन्होंने कहा कि मलवरी के पौधे कैसे लगाए जाते और ककून की पैदावार कैसे होती हैं उसके लिए उन्हें दो बार प्रशिक्षण दिया जा चुका है। मलवरी की खेती शुरू करने में आ रही अड़चन को जिलाधिकारी के निर्देश पर दूर कर लिया गया है। मलवरी परियोजना सहरसा सहित कोसी और सीमांचल इलाके की किसान महिलाओं के लिए काफी फायदेमंद साबित होगी। कोसी मलवरी परियोजना के तहत सुपौल और मधेपुरा में मलवरी की खेती महिला किसानें कर रही है।
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