आइए जानते है शिव ताडंव स्तोत्र के विषय में वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्रा जी से –
शिव तांडव स्तोत्र को बहुत चमत्कारी माना जाता है। इसकी रचना रावण द्वारा की गई है। कहा जाता है कि एक बार अहंकारवश रावण ने कैलाश को उठाने की कोशिश की तो भगवान शिव ने अपने अंगूठे से पर्वत को दबाकर स्थिर कर दिया, जिससे रावण का हाथ पर्वत के नीचे दब गया। तब पीड़ा में रावण ने भगवान शिव की स्तुति की। रावण द्वारा की गई यह स्तुति शिव तांडव स्तोत्र के नाम से जानी जाती है।
बता दें कि शिव तांडव स्तोत्र का पाठ अन्य किसी भी पाठ की तुलना में भगवान शिव को अधिक प्रिय है। इसका पाठ करने से शिव जी बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। जो व्यक्ति नियमित रूप से शिव तांडव स्त्रोत का पाठ करता है, उसे कभी धन-धान्य की कमी नहीं होती. –नियमित रूप से शिव तांडव स्त्रोत का पाठ करने से साधक का आत्मबल मजबूत होता है, चेहरा तेजमय होता साथ ही उत्कृष्ट व्यक्तित्व प्राप्त होता है. –शिव तांडव स्त्रोत करने से मनुष्य को वाणी की सिद्धि भी प्राप्त हो सकती है
शिव तांडव स्तोत्र पाठ के फायदे
• नियमित रूप से शिवतांडव स्तोत्र का पाठ करने से शिव जी प्रसन्न होते हैं।
• इसका पाठ करने से कभी भी धन-सम्पति की कमी नहीं होती है।