सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय -DRDO भू-जोखिम प्रबंधन के लिए मिलकर कार्य करेंगे
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने तकनीकी विनिमय के क्षेत्र में और स्थायी भू-जोखिम प्रबंधन पर सहयोग को मजबूत करने के लिए एक समझौता किया है।
इस भू-खतरे प्रबंधन समझौते पर DRDO के जी. सतीश रेड्डी और सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के सचिव गिरधर अरमाने ने हस्ताक्षर किए। इस समझौते के तहत, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय और DRDO विभिन्न भूस्खलन / हिमस्खलन नियंत्रण संरचनाओं की डिजाइनिंग और नियोजन जैसे पारस्परिक लाभ के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाएंगे। भू-जोखिम प्रबंधन की यह पहल भूस्खलन और अन्य प्राकृतिक आपदाओं के दौरान देश में राष्ट्रीय राजमार्गों पर लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी।
दोनों संगठन डीआरडीओ विशेषज्ञता का उपयोग रक्षा भू-सूचना विज्ञान अनुसंधान प्रतिष्ठान (डीजीआरई) के माध्यम से हिमस्खलन, भूस्खलन, और प्राकृतिक आपदाओं के कारण होने वाले नुकसान के लिए उपायों की पेशकश के लिए करेंगे। सहयोग क्षेत्रों में शामिल हैं- मौजूदा महत्वपूर्ण हिमस्खलन / भू-मापक की जांच, भू-जोखिम के लिए स्थायी शमन उपायों की योजना बनाना, डिजाइन करना, और शमन उपायों के कार्यान्वयन की निगरानी करना इत्यादि।
DRDO विभिन्न अत्याधुनिक तकनीकों पर काम कर रहा है। DRDO की एक प्रमुख प्रयोगशाला, डिफेंस जियो-इंफॉर्मेटिक्स रिसर्च इस्टेब्लिशमेंट (DGRE) हिमस्खलन और भूभाग पर ध्यान केंद्रित करने के साथ युद्ध की प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए विकासशील प्रौद्योगिकियों में अग्रणी है।