आज लॉन्च होगा ‘मिशन चंद्रयान-3, आइए जानते हैं आखिर मिशन चंद्रयान-3 क्या है और इस रॉकेट की क्या खासियत है

 आज लॉन्च होगा ‘मिशन चंद्रयान-3, आइए जानते हैं आखिर मिशन चंद्रयान-3 क्या है और इस रॉकेट की क्या खासियत है

Chandrayaan 3 Launch: मिशन चंद्रयान-3 का काउंटडाउन कुछ ही देर में शुरू होने वाला है I इसे लेकर ISRO की तरफ से पूरी तैयारी कर ली गई है और अब लॉन्चिंग की बारी है I इस बार कोशिश है कि रोवर की सफलतापूर्वक चांद पर लैंडिंग कराई जाए I अगर भारत ऐसा करने में कामयाब हो जाता है को तो वो अमेरिका और चीन जैसे देशों की लिस्ट में शामिल हो जाएगा I इस बड़ी लॉन्चिंग से पहले आइए जानते हैं कि आखिर मिशन चंद्रयान-3 क्या है और इस रॉकेट की क्या खासियत है I

आपको बता दें चंद्रयान-3 का सफर कुल 40 दिन का होगा I जिसके बाद ये अपनी कक्षा में पहुंचेगा और चांद पर चक्कर लगाने के बाद रोवर लैंड होगा I आइए एक-एक कर बताते हैं कि इस पूरे मिशन में क्या-क्या होने जा रहा है I

  • धरती से चांद की कुल दूरी 3.84 लाख km की है I रॉकेट का सफर कुल 36 हजार किमी का होगा I  रॉकेट रोवर को पृथ्वी के बाहरी ऑर्बिट तक ले जाएगा I इसमें करीब 16 मिनट लगेंगे I 
  • बाहरी ऑर्बिट से बाद का सफर प्रोपल्शन मॉड्यूल से चांद के ऑर्बिट में पहुंचकर कई स्टेज में ऑर्बिट घटाएगा I 100 km के ऑर्बिट में पहुंचने पर प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग अंत में लैंडर चांद पर उतरेगा I

रॉकेट की खासियत –
रॉकेट की खासियत की बात करें तो ये देश का सबसे भारी रॉकेट है. जिसका वजन कुल 640 टन है और लंबाई 43.5 मीटर की है I इसका व्यास 5 मीटर, क्षमता 200 Km और करीब 8 टन पेलोड, 35 हजार Km तक आधा वजन ले जाने में सक्षम है I

मिशन मून का मकसद –
अब अगर भारत के इस मिशन मून के मकसद की बात करें तो इसमें सबसे पहला मकसद लैंडर की सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग होगा I इसके बाद रोवर को चांद की सतह पर चलकर दिखाना और वैज्ञानिक परीक्षण करना मकसद होगा I

मिशन मून से क्या मिलेगा?
अब दूसरा सवाल ये है कि मिशन मून से भारत को क्या मिलेगा I इससे चंद्रमा, पृथ्वी और ब्रह्मांड की बेहतर समझ मिल सकती है I भारत बिना विदेशी मदद के अपनी क्षमता दिखा सकता है I इसके अलावा अरबों डॉलर के स्पेस मार्केट में मजबूत मौजूदगी और दुनिया के गिने-चुने देशों के क्लब में एंट्री मिलेगी I 

तीन हिस्सों में काम करेगा रॉकेट –
चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग के बाद तीन स्टेप होंगे. पहला प्रपल्शन मॉड्यूल होगा, जिसमें लैंडर रोवर को चंद्रमा की ऑर्बिट में 100 km ऊपर छोड़ेगा I इसके बाद दूसरा लैंडर मॉड्यूल वाला पार्ट होगा, जिसमें रोवर को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतारेगा I इसके बाद आखिरी स्टेप रोवर होगा, इसमें रोवर चांद पर उतरकर उसकी साइंटिफिक स्टडी करेगा I चांद की सतह से रोवर का मिशन होगा कि वो सतह की तस्वीरें भेजेगा, इसके अलावा मिट्टी की जांच, वातावरण की रिपोर्ट देना, केमिकल विश्लेषण करना और वहां मौजूद खनिज की खोज करना होगा I

 

संबंधित खबर -