राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल कुमार ने कहा – बिहार में व्यवसाय करना हो गया है मुश्किल, वरीय अधिकारी भी डालते हैं दबाव
पटना : जनतांत्रिक विकास पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह व्यवसायी अनिल कुमार ने आज पटना में प्रेस वार्ता कर राज्य पर हत्या करवाने का आरोप लगाया। अनिल कुमार ने कहा कि मैं 1989 से बिहार में व्यवसाय कर रहा हूँ। आज तक किसी के साथ धोखाधड़ी नहीं किया। फिर भी न जाने क्यों बिहार सरकार ने हमें अपराधी बता कर जेल भेजने का काम किया। उनकी मंशा मेरी हत्या करवाने की थी। इसलिए 8 महीने तक मुझे जेल में बंद रखा और मुझे प्रताड़ित भी किया।
अनिल कुमार ने कहा कि बिहार में व्यवसाय करना अपराध है, या सच बोलना गुनाह है। प्रदेश के हर हिस्से में लूट, हत्या, रेप जैसी जघन्य घटनाएं हो रही हैं, लेकिन यह सरकार मुझे अपराधी बता कर जेल भेजने का काम किया। सरकार बताए कि आखिर हमसे उनकी क्या दुश्मनी है। हम पर दर्जनों केस फर्जी तरीके से करवाया गया है, लेकिन उन झूठे केस की हकीकत क्या है? अनिल कुमार ने कहा कि इतने सालों सर व्यवसाय कर रहा हूँ, लेकिन आज तक किसी एक आदमी ने हमारे काम पर सवाल नहीं उठाया। हमने किसी को ठगने का भी काम नहीं किया। फिर हमें यह सरकार अपराधी कैसे बता रही है। क्या बिहार में व्यवसाय करना अपराध है या यहां सच बोलना अपराध है?
उन्होंने एक वरीय पुलिस अधिकारी पर कम पैसे में जबरन दुकान रजिस्ट्रेशन का आरोप लगाया और कहा कि उस अधिकारी ने 1 करोड़ में डील की हुई दुकान को 24 लाख देकर जबर्दस्ती रजिस्ट्री कराने की कोशिश की। यह केस भी गांधी मैदान थाने में पेंडिंग है। ऐसे एक नहीं कई मामले हैं, जिसमें हम पर दबाव बनाया जाता रहा है। लेकिन आज जब पानी सर से बाहर हो गया और हमें साजिश के तहत अपराधी बता कर 8 महीने प्रताड़ना के साथ जेल में रखा गया, तब आज हमें कहना पर रहा है कि आखिर हमारा गुनाह क्या है? बिहार में नल जल योजना में भ्रष्टाचार, सात निश्चित में धांधली, लाख कोशिशों के बाद शराब का धड़ल्ले से व्यापार से लेकर ब्लॉक में एक कागज बनाने में भ्रष्टाचार पर बोलना क्या गुनाह है?
अनिल कुमार ने कहा कि बिहार में 2016 से हमने व्यापार करना बंद कर दिया, क्योंकि सरकार और तंत्र द्वारा हमें खूब परेशान किया जाता रहा है। हम अब यहां राजनीतिक रूप से सक्रिय हैं और बाबा साहब के विचारों पर चलकर बिहार के तमाम दबे कुचले लोगों के आवाज बुलंद कर रहे हैं। हमने कभी अपराध को बढ़ावा नहीं दिया। उसमें शामिल नहीं हुआ। अपराध के खिलाफ धरना दिया। विधान सभा मार्च किया। फिर भी सरकार बताए कि वे अपराधी साबित कर मेरी जान लेने को आतुर है?