नवरात्रि 2021 : आज है महानवमी, मां सिद्धिदात्री की जाती है पूजा, जानिए मां की पूजा-विधि और आरती

 नवरात्रि 2021 : आज है महानवमी, मां सिद्धिदात्री की जाती है पूजा, जानिए मां की पूजा-विधि और आरती

नवरात्रि के पावन पर्व का आज अंतिम दिन है। नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा- अर्चना की जाती है। नवरात्रि के अंतिम दिन यानी महानवमी को मां सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना की जाती है। मां सिद्धिदात्री भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करती हैं और उन्हें यश, बल और धन भी प्रदान करती हैं। शास्त्रों के अनुसार मां सिद्धिदात्री को सिद्धि और मोक्ष की देवी माना जाता है। मां सिद्धिदात्री महालक्ष्मी के समान कमल पर विराजमान रहती हैं। मां के चार हाथ हैं। मां अपने एक हाथ में शंख,दूसरे में गदा,तीसरे में कमल का फूल और चौथे में च्रक धारण किया है। मां सिद्धिदात्री को माता सरस्वती का रूप भी माना जाता हैं।

आपको बता दें नवरात्रि के अंतिम दिन यानी आज कन्या पूजन का भी विशेष महत्व रहता है।महानवमी पूजा- विधि – सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ- स्वच्छ वस्त्र धारण करें।- मां की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएं। – स्नान कराने के बाद पुष्प अर्पित करें।- मां को रोली कुमकुम भी लगाएं। – मां को मिष्ठान और पांच प्रकार के फलों का भोग लगाएं।- मां स्कंदमाता का अधिक से अधिक ध्यान करें।-फिर मां की आरती अवश्य करें।

पूजा की शुभ मुहूर्त –

ब्रह्म मुहूर्त- 04:42 am से 05:31 am

अभिजित मुहूर्त- 11:44 am से 12:30 pm

विजय मुहूर्त- 02:02 pm से 02:48 pm

गोधूलि मुहूर्त- 05:41 pm से 06:05 pm

मां सिद्धिदात्री की आरती –

जय सिद्धिदात्री मां, तू सिद्धि की दाता।

तू भक्तों की रक्षक, तू दासों की माता।

तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि।

तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि।

कठिन काम सिद्ध करती हो तुम।

हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम।

तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है।

तू जगदंबे दाती तू सर्व सिद्धि है।

रविवार को तेरा सुमिरन करे जो।

तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो।

तू सब काज उसके करती है पूरे।

कभी काम उसके रहे ना अधूरे।

तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया।

रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया।

सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली।

जो है तेरे दर का ही अंबे सवाली।

हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा।

महा नंदा मंदिर में है वास तेरा।

मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता।

भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता।

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