नवरात्रि 2021 : आज नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की जाती है पूजा, जानिए शुभ मुहूर्त, पुजा-विधि और कथा

 नवरात्रि  2021 : आज नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की जाती है पूजा, जानिए शुभ मुहूर्त, पुजा-विधि और कथा

नवरात्रि 2021: आज 8 अक्टूबर, शुक्रवार को नवरात्रि का दूसरा दिन है। नवरात्रि के दौरान मां के 9 रूपों की पूजा- अर्चना की जाती है। नवरात्रि के दूसरे दिन मां के द्वितीय स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से व्यक्ति को अपने कार्य में सदैव सफलता प्राप्त होती है। मां ब्रह्मचारिणी दुष्टों को सन्मार्ग दिखाने वाली हैं। माता की भक्ति से व्यक्ति में तप की शक्ति, त्याग, सदाचार, संयम और वैराग्य जैसे गुणों में वृद्धि होती है।

पूजा की शुभ मुहूर्त –

– ब्रह्म मुहूर्त :- शुक्रवार की सुबह 4 बजकर 39 मिनट से 5 बजकर 29 मिनट

– अभिजित मुहूर्त :- सुबह 11 बजकर 45 मिनट से 12 बजकर 32 मिनट तक

– विजय मुहूर्त :- दोपहर 2 बजकर 5 मिनट से 2 बजकर 52 मिनट तक

– गोधूलि मुहूर्त :- शाम 5 बजकर 47 मिनट से 6 बजकर 11 पीएम तक

– अमृत काल :- सुबह 11 बजे से दोपहर दोपहर 12 बजकर 27 मिनट तक

– निशिता मुहूर्त :- रात 11 बजकर 44 मिनट से 12 बजकर 33 मिनट, 9 अक्टूबर तक

रवि योग- शाम 6 बजकर 59 मिनट से सुबह 6 बजकर 18 मिनट यानी 9 अक्टूबर तक

मां ब्रह्मचारिणी पूजा-विधि –

– नवरात्रि के दुसरे दिन सुबह उठकर जल्दी स्नान कर लें, फिर पूजा के स्थान पर गंगाजल डालकर उसकी शुद्धि कर लें।

– मां दुर्गा का गंगा जल से अभिषेक करें।

– घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।

– अब मां दुर्गा को अर्घ्य दें।

– मां को अक्षत, सिन्दूर और लाल पुष्प अर्पित करें, प्रसाद के रूप में फल और मिठाई चढ़ाएं।

– धूप और दीपक जलाकर दुर्गा चालीसा का पाठ करें और फिर मां की आरती करें।

– मां को भोग लगाएं। इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग ही लगाया जाता है।

जानिए मां ब्रह्मचारिणी व्रत कथा –

कहा जाता है कि मां ब्रह्मचारिणी ने राजा हिमालय के घर जन्म लिया था। नारदजी की सलाह पर उन्होंने कठोर तप किया, ताकि वे भगवान शिव को पति स्वरूप में प्राप्त कर सकें। कठोर तप के कारण ही उनका ब्रह्मचारिणी या तपश्चारिणी नाम पड़ा। भगवान शिव की आराधना के दौरान उन्होंने 1000 वर्ष तक केवल फल-फूल खाए तथा 100 वर्ष तक शाक खाकर जिंदा रहीं। कठोर तप से उनका शरीर क्षीण हो गया। उनक तप देखकर सभी देवता, ऋषि-मुनि अत्यंत प्रभावित हुए। उन्होंने कहा कि आपके जैसा तप कोई नहीं कर सकता है। आपकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होगा। भगवान शिव आपको पति स्वरूप में जरूर प्राप्त होंगे।

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