अब बच्चे स्कूल नही जा सकते तो स्कूल आएगा बच्चो को घर
बिहार सरकार ने बच्चों का हाल जानने के लिए अब शिक्षकों को बच्चों के घर भेजने का फैसला लिया है. दरअसल, कोरोना की वजह से लंबे समय बाद खुले सरकारी स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति बढ़ाने के लिए शिक्षा विभाग फिर से नया प्रयोग करने जा रहा है. शिक्षा विभाग ने अब सभी डीईओ और डीपीओ को आदेश दिया है कि राज्य के सरकारी स्कूलों में वैसे बच्चे जो लगातार स्कूल से 7 दिन से गायब हैं, उनके घर अब गुरुजी यानी टीचर्स को जाना होगा. विद्यालय में बच्चों की नियमित उपस्थिति और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए विभाग ने सबकी जिम्मेवारी तय कर दी है.
75 फीसदी उपस्थिति का लक्ष्य हासिल करने के लिए विद्यालय प्रधान के साथ ही विद्यालय के सभी शिक्षक और संकुल संसाधन केंद्र समन्वयक को जिम्मेदार बताया गया है और जिम्मा दिया गया है कि यदि कोई छात्र एक सप्ताह तक लगातार स्कूल में अनुपस्थित रहता है तो प्रधानाध्यापक, शिक्षक उसके अभिभावक से संपर्क कर विद्यालय नहीं आने का कारण जानेंगे और इसके लिए अलग से रजिस्टर बनाने का आदेश दिया गया है. स्कूलों को कहा गया है कि सभी विद्यालय निर्धारित समय पर खुले और विद्यालय में नियुक्त शिक्षक समय पर हर हाल में विद्यालय आएं और विद्यालय अवधि समाप्त होने के बाद ही विद्यालय से प्रस्थान करेंगे.
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हेडमास्टरों को निर्देश दिया है कि बच्चों के समूह को विद्यालय लाने के लिए शिक्षकों के बीच जिम्मेदारी का निर्धारण कर दें, वहीं स्कूलों को साफ हिदायत दी गई है कि विद्यालय अवधि में मोबाइल का प्रयोग वर्जित रहेगा यानि शिक्षक क्लास लेने के दौरान मोबाइल का उपयोग भी नहीं करें इससे शैक्षणिक कार्य पर असर पड़ेगा. मालूम हो कि राज्य सरकार ने क्लास 1 से लेकर 12वीं तक के सभी स्कूलों को खोलने का आदेश दे दिया है और अब स्कूलों में शत प्रतिशत बच्चों को आने की भी अनुमति दे दी है. लंबे समय से ठप रहे पठन पाठन की वजह से बच्चों के सिलेबस पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है, ऐसे में बच्चों की उपस्थिति हर हाल में 75 फीसदी तक करने के लिए अब शिक्षकों को जिम्मा दिया गया है.