मोदी सरकार के 8 साल पुरा होने पर राजद प्रवक्ता अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कही ये बात ..
मोदी सरकार के 8 साल पुरा होने पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए राजद के प्रदेश प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने कहा कि आजाद भारत की यह पहली सरकार है जिसे अपने आठ साल के शासनकाल में अपने नकारात्मक उपलब्धि के अलावा कहने के लिए और कुछ नहीं है। राजद प्रवक्ता ने कहा कि आठ साल पहले जिन मुद्दों को आधार बनाकर भाजपा सरकार बनाने में कामयाब हुई थी, सत्ता में आने के बाद वे सारे मुद्दे या तो जुमला और झांसे बन कर रह गये अथवा उन मुद्दों की उपलब्धि नकारात्मक हीं हो गई। वादा किया गया था कि प्रति वर्ष दो करोड़ नौजवानों को नौकरी दी जायेगी। नौकरी तो नहीं मिली करोड़ों लोगों की नौकरी छूट गई या बेरोजगार हो गये। देश में बेरोजगारी का दर पिछले 50 वर्षों मे उच्चतम शिखर पर पहुंच गया है। रेलवे में पद घटाए जा रहे हैं । सेना में बहाली बंद है।
वादा किया गया था कि सभी के एकाउंट में 15 – 15 लाख रूपये आ जायेंगे वह तो नहीं हीं आया जो पहले से जमा था वह भी चला गया। कहा गया था कि सौ दिनों के अन्दर मुद्रास्फीति कम हो जायेगी और 35 रूपए में डॉलर मिलेंगे पर आज भारतीय करेंसी का मूल्य निम्नतम स्तर से भी नीचे चला गया। इसी प्रकार काला धन तो वापस नहीं आया पर काला धन वाले आराम से देश छोड़ कर चले गए। जहां पूर्ववर्ती सरकारों के कुल कार्यकाल में मात्र 55 हजार करोड़ डॉलर कर्ज लिया गया था वर्तमान सरकार अपने आठ वर्षों के शासनकाल में 2 लाख 35 हजार करोड़ डॉलर कर्ज ले चुकी है। सत्ता में आने के पहले दावा किया गया था कि सरकार बनने पर किसानों की आय दोगुनी कर दी जायेगी। जबकि किसानों की आय में 35 प्रतिशत की कमी आ गई।
राजद प्रवक्ता ने कहा कि पिछले आठ साल में इस सरकार द्वारा किये गए कार्यों को देखा जाए तो नोटबंदी, जीएसटी , सार्वजनिक क्षेत्र के लाभकारी प्रतिष्ठानों का निजीकरण, कॉरपोरेट घरानों के हितों को ध्यान में रख कर किसान बिरोधी ‘भूमि अधिग्रहण कानून ‘ किसान बिरोधी कृषि कानून, सीएए, एनआरसी, बगैर किसी तैयारी के देश भर में लगाया गया लॉक डाउन, कोरोना के प्रति लापरवाही, वैक्सीन की उपलब्धता और वैक्सीनेशन में अदूरदर्शिता जैसे कुछ यैसे उदाहरण हैं जिससे देश को भारी क्षति उठानी पड़ी है और देश काफी पीछे चला गया है।
सरकार की उपलब्धि की चर्चा की जाये हर क्षेत्रों में देश उस स्थिति में पहुँच गया है जहाँ से उबरना बहुत आसान नहीं होगा। आज पडोसी देशों के साथ भी हमारे संबंध सामान्य नहीं रहे। भारत का सबसे भरोसेमंद मित्र रूस की निकटता चीन के साथ बढती जा रही है। संवैधानिक संस्थाओं की विश्वसनीयता आज संदेह के घेरे में आ गये हैं। लोकतंत्र की गरिमा गिरती जा रही है। अभी ‘सी सर्वे ‘ के हवाले से कहा गया है कि प्रधानमंत्री जी की लोकप्रियता भी काफी गीर चुका है और अब उनके प्रशंसकों से कहीं ज्यादा उनके आलोचकों का प्रतिशत बढ गया है। इवेंट मैनेजमेंट के सहारे सरकार चल रही है। आठ साल में प्रधानमंत्री जी द्वारा एक भी पत्रकार सम्मेलन को सम्बोधित नहीं किया जाना अपने आप मे आश्चर्यजनक है।