बज्जिका काव्य-कुम्भ का एक दिवसीय कार्यशाला संपन्न,वैशाली के इतिहास पर डाले प्रकाश हम अइली हए — रवींद्र -रतन
बज्जिकंचल क्षेत्र के चंपारण,सीतामढी, शिवहर , दरभंगा समस्तीपुर,वैशाली एवं मुजफ्फरपुर के कवियों ,साहित्य्कारों के द्वारा बोली जाने बाली मातृभाषा बज्जिका पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन उषा किरण जी के सौजन्य से संस्था संस्कार भारती और सहित्यकी अखिल भारतीय संस्थान की ओर से दीप प्रज्वलित कर व आए हुए कवियो,साहित्यकारों के सुख, समृद्धि व शान्ति के लिए प्रतीक लाल चन्दन और अक्षत से टिका लगा के किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता साहित्यकार शारदा चरण एवं संचालन राम नरेश शर्मा ने किया। डा 0 ब्रह्मदेव कार्यी शरदाचरण प्रसाद, मुख्य वक्ता प्रशासनिक पदाधिकारी डा 0गंगा प्रसाद आदि ने बज्जिकाके विकास पर अपना- अपना विचार दिया। दूसरे सत्र में ” काव्य- कुम्भ” का आयोजन हुआ। जिले वार कवियों को बुलाकर काव्य -पाठ का कार्यक्रम हुआ।कवियों ने अपनी-अपनी कविता सुनाई और श्रोताओं की खूब तालियां बटोरी ।।लगभग तीन घन्टे तक काव्य रस की वर्षा होती रही ।
मुख्य कवि के रुप में डा 0 ब्रह्म देव कार्यी,शारदा चरण प्रसाद , हरिनारयेन सिंह हरि,रवींद्र कुमार रतन , अखोरी चंद्र शेखर, ज्वाला प्रसाद सिंह ‘सान्ध्य पुष्प’, अमिताभ कुमार, सुधा कुमारी ‘ डा 0 विद्या चौधरी ‘ आदि ने अपनी कविता से रस की वर्षा कर दीI
सभी कवियों साहित्यकारों को अंग वस्त्र से सम्मानित और बज्जिका रत्न की उपाधि से अलंकृत किया गया।
रतन जी अपनी कविता
” जैन-बौद्ध धरम के फेरू से
पताका फह्राबे अइली हए।
वैशाली के इतिहास पर डाले प्रकाश हम अइली हए।।
लक पाठ कर समा बान्ध दिया।
अन्त में आयोजक उषा किरन जी आगत कवि ‘ साहित्यकार के प्रति कार्य क्रम में आने के लिए आभार प्रकट की औरअपनी ओर से आभार व्यक्त की।