भारतीय मूल की अनाथ लिसा विश्व में झंडा गाड़ दी
हमारे देश में जो लोग बेटियों को बोझ समझकर फेंक देते हैं, उन्हें लिसा के सफल जीवन से सीख लेना चाहिए। धरती पर भगवान है बेटी, घर आँगन कि शान है बेटी, मेरा तो अभिमान है बेटी,बेटी मां है, बेटी बहना, बेटी मेरे घर का गहना। लिसा स्टालेकर का शुमार ऑस्ट्रेलियाई महिला टीम के बेस्ट ऑलराउंडर्स में किया जाता है I
आपको बता दें 2013 में इंटरनेशनल क्रिकेट से रिटायरमेंट के बाद लिसा ने कमेंट्री को अपना करियर बना लिया I जिसमें वह एक अलग पहचान बना चुकी हैं I पुणे में पैदा होने वाली भारतीय मूल की लिसा का ऑस्ट्रेलिया तक का सफर आसान नहीं रहा था I लिसा स्टालेकर को उनके जैविक माता-पिता पुणे के ‘श्रीवत्स’ अनाथालय के सामने छोड़ गए थे क्योंकि वे उनका पालन-पोषण नहीं कर सकते थे I उस अनाथ आश्रम में लिसा को लैला नाम मिला I
बाद में लिसा को भारतीय मूल के डॉ. हरेन और उनकी अंग्रेज पत्नी सू ने गोद लिया था और वे बच्ची को लेकर मिशिगन जाकर शिफ्ट हो गए, जहां इस इस दंपत्ति ने लैला का नाम बदल कर लिसा रख दिया I बाद में हरेन और सू सिडनी जाकर बस गए थे I अब 42 साल की लिसा स्टालेकर ने 12 साल बाद उस अनाथालय (श्रीवत्स) का दौरा किया जिसने उन्हें नवजीवन प्रदान किया था I लिसा ने ट्वीट किया, ‘अपने अनाथालय में वापस आना हमेशा इमोशनल होता है I सभी ने बहुत स्वागत किया I 12 साल पहले जिन स्टाफ को देखा था, उनमें से बहुत सारे स्टाफ से दोबारा मिलकर काफी खुश हूं I