PM FME Scheme : खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय और ग्रामीण विकास मंत्रालय मिलकर कार्य करेंगे
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम (Pradhan Mantri Formalization of Micro Food Processing Enterprises – PM FME) योजना को एक अखिल योजना के रूप में लांच किया गया था। यह योजना 2020-21 और 2024-25 के बीच लागू की जायेगा। इसे 10,000 करोड़ रुपये के परिव्यय पर कार्यान्वित किया जायेगा।
मंत्रालयों का अभिसरण (Convergence of Ministries)
हाल ही में, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय (MoFPI) ने PM FME योजना को लागू करने के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय (MoRD) के साथ काम करने पर सहमति व्यक्त की है। ग्रामीण विकास मंत्रालय के तहत संचालित दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM) योजना को लागू करने के लिए खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय के साथ काम करेगा।
योजना क्या है?
- दोनों मंत्रालय स्व-सहायता समूह के सदस्यों को बीज पूंजी (seed capital) सहायता प्रदान करेंगे।इस हिसाब से प्रत्येक स्व-सहायता समूह के सदस्य को 40,000 रुपये प्रदान किए जायेंगे।
- राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन पात्र लाभार्थियों की पहचान के लिए जिम्मेदार हैं।
- 2020-21 में, 51.85 करोड़ रुपये की बीज पूंजी सहायता के लिए लगभग 17,427 लाभार्थियों की सिफारिश की गई थी।6,694 उद्यमों को कवर करते हुए अब तक बीज पूंजी सहायता के लिए 01 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं। ये उद्यम आंध्र प्रदेश, गोवा, छत्तीसगढ़, हरियाणा, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, ओडिशा, मेघालय, राजस्थान, सिक्किम, त्रिपुरा, सिक्किम, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश राज्यों में स्थित हैं।
दीनदयाल अंत्योदय योजना (Deendayal Antyodaya Yojana – DAY)
इसे राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (National Rural Livelihood Mission – NRLM) भी कहा जाता है। DAY-NRLM नया नाम Aajeevika-NRLM है। 2015 में इसका नाम बदल दिया गया था। इस कार्यक्रम को आंशिक रूप से विश्व बैंक द्वारा समर्थित किया गया है। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण गरीबों की घरेलू आय में वृद्धि करना है। इस योजना की शुरुआत 7 करोड़ ग्रामीण गरीब परिवारों को कवर करने के एजेंडे के साथ की गई थी।
सूक्ष्म प्रसंस्करण उद्यमों के गठन की योजना (Scheme for Formalisation of Micro Processing Enterprises)
यह योजना भारत में असंगठित क्षेत्र के लिए शुरू की गई थी। इसका लक्ष्य सूक्ष्म प्रसंस्करण इकाइयों के लिए वित्त की पहुंच को बढ़ाना है। इसका उद्देश्य खाद्य गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों का अनुपालन करना है। यह योजना महिला उद्यमियों और आकांक्षात्मक जिलों पर केंद्रित है।
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