PM Modi Nalanda Visit: नालंदा विश्वविद्यालय क्यों रहा है खास? अब्दुल कलाम से लेकर पीएम मोदी तक…जानें
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज बुधवार यानी 19 जून को बिहार के राजगीर में नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर का उद्घाटन करने पहुंचे हैं । विदेश मंत्री एस. जयशंकर और 17 देशों के राजदूत इस कार्यक्रम में शामिल हो रहे हैं । विश्वविद्यालय का नया परिसर नालंदा के प्राचीन खंडहर स्थल के करीब है । प्रधानमंत्री के साथ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर भी नालंदा पहुंचे हुए हैं ।
आपको बता दें प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के तर्ज पर नालंदा के राजगीर में बना अंतर्राष्ट्रीय नालंदा विश्वविद्यालय अब नई उंचाईयों को छूने को तैयार है । ग्लोबल विश्वविद्यालय के रूप में आधुनिक नालंदा विश्वविद्यालय उभरने को तैयार है । नालंदा विश्वविद्यालय का अब खुद का भवन बनकर तैयार हो गया है । बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की विशेष पहल के बाद राजगीर में 455 एकड़ जमीन का अधिग्रहण कर विश्वविद्यालय प्रशासन को सौंप गया । नालंदा विश्वविद्यालय में 1,749 करोड़ रुपये की लागत से 24 बड़ी इमारतें बनाई गई हैं ।
नालंदा विश्वविद्यालय की परिकल्पना अब पूर्ण रूप से हकीकत में बदलने जा रही है । 455 एकड़ में इस विश्वविद्यालय का निर्माण किया गया है जिसमें सैकड़ो बिल्डिंग, दर्जनों तालाब, मेडिटेशन हॉल, कॉन्फ्रेंस हॉल, स्टडी रूम, आवासीय परिसर आदि का निर्माण किया गया है । प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के तर्ज पर अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय स्थापित करने में कई मोड़ आए और ज्ञान की बिखरी कड़ियों को जोड़ते हुए अंतर्राष्ट्रीय महत्व का संस्थान खड़ा हो सका । 28 मार्च 2006 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय को पुनर्निर्माण करने की सलाह दी थी । यह विचार उन्होंने बिहार विधानमंडल के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित करते हुए रखा था ।
नालंदा विधेयक 2010 को मंजूरी के लिए 21 अगस्त 2010 को राज्यसभा में पेश किया गया और वह पास हो गया । यह विधेयक इसी साल 26 अगस्त को लोकसभा से भी स्वीकृत हो गया । संसद के दोनों सदनों में विधयेक पास होने के बाद यह राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए गया । 21 सितंबर 2010 को राष्ट्रपति ने इस पर अपनी सहमति दे दी । 25 नंबर 2010 को विधयेक लागू होने के बाद नालंदा विश्वविद्यालय अस्तित्व में आ गया। वर्ष 2010 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने इसका आधारशिला रखा था ।
जापान और सिंगापुर ने नालंदा विश्वविद्यालय की अधिसंरचना के विस्तार के लिए 100 अमेरिकी डॉलर की मदद दी । फरवरी 2011 में गोपाल सभरवाल को विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति नियुक्त किया गया । विश्वविद्यालय स्थापित करने के लिए बिहार सरकार ने स्थानीय लोगों से 455 एकड़ जमीन विश्वविद्यालय के लिए अधिग्रहित किया । 11 संकाय सदस्यों और 15 छात्रों के साथ विश्वविद्यालय में शैक्षणिक सत्र की शुरुआत 1 सितंबर 2014 से शुरू हुआ था । उस वक्त विश्वविद्यालय का अपना बिल्डिंग नहीं होने के कारण शहर के एक सरकारी होटल और एक सरकारी भवन में कक्षाएं शुरू की गई थी । प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय को पुनर्जीवित कर 821 साल बाद पठन-पाठन शुरू किया गया ।