Pradosh Vrat 2021: कल है भौम प्रदोष व्रत, इस कथा को पढ़ने या सुनने से होता है दुखों का निवारण
पौष मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत है। यह प्रदोष व्रत 26 जनवरी 2021 (मंगलवार) को है। मंगलवार को होने के कारण इसे भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है। प्रदोष व्रत हर महीने एक बार शुक्ल पक्ष और एक बार कृष्ण पक्ष में आते हैं। इस दिन भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा की जाती है। मान्यता है कि प्रदोष व्रत रखने से कलह, आर्थिक संकट और विवाह संबंधी परेशानियां दूर हो जाती हैं।
प्रदोष व्रत कथा-
एक नगर में तीन मित्र राजकुमार, ब्राह्मण कुमार और तीसरा धनिक पुत्र रहते थे। राजकुमार और ब्राह्मण कुमार विवाहित थे, धनिक पुत्र का भी विवाह हो गया था, लेकिन गौना होना बाकी था। एक दिन तीनों मित्र स्त्रियों की चर्चा कर रहे थे। ब्राह्मण कुमार ने स्त्रियों की प्रशंसा करते हुए कहा- ‘नारीहीन घर भूतों का डेरा होता है।’ धनिक पुत्र ने यह सुना तो तुरन्त ही अपनी पत्नी को लाने का फैसला ले लिया। तब धनिक पुत्र के माता-पिता ने समझाया कि अभी शुक्र देवता डूबे हुए हैं, ऐसे में बहू बेटियों को उनके घर से विदा करवा लाना शुभ नहीं माना जाता, लेकिन धनिक पुत्र ने एक नहीं सुनी और ससुराल पहुंच गया।
ससुराल में भी उसे मनाने की कोशिश की गई लेकिन वो नहीं माना। कन्या के माता-पिता को अपनी बेटी की विदाई करनी पड़ी। विदाई के बाद पति-पत्नी शहर से निकले ही थे कि बैलगाड़ी का पहिया निकल गया और बैल की टांग टूट गई। दोनों को चोट लगी लेकिन फिर भी वो चलते रहे। कुछ दूर जाने पर डाकू उनका धन लूटकर ले गए। दोनों घर पहुंचे. वहां धनिक पुत्र को सांप ने डस लिया। उसके पिता ने वैद्य को बुलाया तो वैद्य ने बताया कि वो तीन दिन में मर जाएगा। जब ब्राह्मण कुमार को यह खबर मिली तो वो धनिक पुत्र के घर पहुंचा और उसके माता-पिता को शुक्र प्रदोष व्रत करने की सलाह दी। और कहा कि इसे पत्नी सहित वापस ससुराल भेज दें। धनिक ने ब्राह्मण कुमार की बात मानी और ससुराल पहुंच गया। धीरे-धीरे उसकी हालात ठीक हो गई और धन-सपंदा में कोई कमी नहीं रही।
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