सरकार ISI से बात कर सकती है, लेकिन देश के विपक्ष से नहीं: प्रियंका गाँधी
नयी दिल्ली: देश में बढ़ रहे कोरोना वायरस के प्रकोप पर सरकार की विफलताओं को प्रियंका गाँधी ने आड़े हाथों लिया है. उन्होंने सत्तारूढ़ पार्टी के अहंकार पर इशारा करते हुए कहा कि सरकार दुबई के आईएसआई से बात कर सकती है लेकिन देश में विपक्ष के सुझाव को नही सुन सकती.
भारत के संवैधानिक ढाँचे में विपक्ष का महत्व सरकार के समतुल्य ही होता है. सरकार की गलत नीतियों पर प्रहार करना विपक्ष का काम होता है. वो विपक्ष ही होता है जो जनता के साथ जमीन पर होता है और सरकार को ऊँगली दिखाता रहता है. लेकिन वर्तमान सरकार ने बहुमत की आड़ में उस विपक्ष को ही नजरअंदाज कर दिया है. अब देश की सरकार को सरकार का भजन और गुणगान करने वाले लोग ही पसंद आते है.
प्रियंका गाँधी ने कहा कि पिछले छः महीने में 11 लाख से ज्यादा रेमेडेसिविर दवा का निर्यात कर चुकी है. लेकिन देश में अब रेमेडेसिविर वैक्सीन नहीं मिल रहा. सरकार को साड़ी सूचना पहले से थी कि कोरोना की दूसरी लहर आएगी. सभी सर्वे इस बात की तरफ इशारा कर रहे थे, लेकिन सरकार बेफिक्र रही. विपक्ष ने कई बार इस ओर ध्यान दिलाना चाहा लेकिन सरकार ने अपने अहंकार के आगे सब कुछ अनसुना कर दिया.
प्रियंका गाँधी ने कहा कि भारत विश्व के सबसे बड़े ऑक्सीजन उत्पादक देशों में है, लेकिन आज देश में सभी बड़े अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी देखी जा रही है. सरकार के पास कोरोना की पहली और दूसरी लहर के बीच 8-9 महीने का समय था, लेकिन सरकार ने कुछ नहीं किया.
प्रियंका गाँधी ने वैक्सीन निर्यात पर भी सवाल खड़े किये है. उन्होंने कहा कि जनवरी से मार्च के बीच सरकार ने छः करोड़ वैक्सीन का निर्यात किया है, जबकि इस बीच तीन से चार करोड़ भारतीयों को ही टीका मिला है. वैक्सीनेशन में भारतीयों को प्राथमिकता क्यों नहीं दी गयी, यह एक गंभीर लापरवाही है. लेकिन सरकार अब भी उन गलतियों को मानकर विपक्ष के सुझाव को सुनने को तैयार नहीं है.